अखिल भारत हिंदू विद्यार्थी सभा

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अखिल भारत हिंदू विद्यार्थी सभा Akhil Bharat Hindu Vidyarthi Sabha-ABHVS

10/08/2021
09/06/2021

—— प्रेस रिलीज ———
मोदी सरकार हिन्दू धर्म दान एक्ट—1951 करे रद्द: हिन्दू महासभा
— इस एक्ट की जगह लागू किया जाए आल इंउिया हिन्दू मंदिर प्रबंधन एक्ट
— हिन्दू धर्म दाम एक्ट—1951 के माध्यम से हिन्दू धर्म व हिन्दू संस्कृति को हिन्दोस्तान में खत्म करने की लागू की जा रही साजिशें, हिन्दुओं को होना होगा जागृत
दिल्ली, 8 जून
अखिल भारत हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्यश्री चौधरी ने कहा कि हिन्दूओं की सरकार होने का दावा करने वाली केंद्र की भाजपा सरकार , हिन्दू धर्म व संस्कृति को खत्म करने वाले कानून हिन्दू धर्म दान एक्ट —1951 को पूर्ण रूप में रद्द करे। इस की जगह पर नया कानून आल इंडिया हिन्दू मंदिर प्रबंधन एक्ट बना कर लागू किया जाए। जिस में देश भर के सभी हिन्दू मंदिरों का प्रबंध व विकास एक संस्थान के पास हो। केंद्र की भाजपा सरकार इस कानून को रद्द न करके हिन्दू विरोधी होने का सबूत पेश कर रही है। इस मामले को लेकर हिन्दू महासभा देश भर में आवाज बुलंद करेगी।
हिन्दू महासभा के प्रवक्ता आचार्य पंकज शर्मा ने कहा कि
जिस प्रकार अन्य धार्मिक समूह अपने धर्म के प्रसार के लिए धन खर्च करते हैं उसी तरह हिंदू समाज को भी विश्व में यह कार्य करने का अधिकार है। परंतु समय की कांग्रेस सरकार ने एक साजिश के तहत हिन्दू धर्म दान एक्ट-1951 को लागू करके कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया था कि, बिना कोई कारण बताए वे किसी भी मंदिर को अपने अधीन कर सकते हैं। यह कानून बनने के बाद से मात्र आंध्र प्रदेश सरकार ने लगभग 40 हजार मंदिरों को अपने अधीन ले लिया। तिरुपति बालाजी मंदिर की सालाना कमाई लगभग 3600 करोड़ रुपए है। जिस पर सरकार का कब्जा चल रहा है। इसी तरह हिमाचल प्रदेश , जम्मू, पंजाब आदि अनेक राज्यों के मंदिरों में सरकारों की ओर से कब्जे किए गए है। जबकि मंदिरों के चढ़ावे का 80 प्रतिशत मंदिरों के कल्याण पर खर्च होना चाहिए। जिनकों सरकरें अपनी मर्जी से अलग अलग तरह दुरूपयोग कर रही है। कर्नाटक के 2 लाख मंदिरों में लगभग 55000 मंदिर रख-रखाव के अभाव के कारण बंद हो गए हैं। दुनिया के किसी भी लोकतांत्रिक देश में धार्मिक संस्थानों को सरकारों द्वारा कंट्रोल नहीं किया जाता है, ताकि लोगों की धार्मिक आजादी का हनन न होने पाए। लेकिन भारत में ऐसा हो रहा है। सरकारों ने मंदिरों को अपने कब्जे में इसलिए किया क्योंकि उन्हें पता है कि मंदिरों के चढ़ावे से सरकार को काफी फायदा हो सकता है। आज भारत में लगभग 13 लाख मंदिर हैं, जिनमें 8 लाख मंदिर सरकार के पास हैं। मंदिरों का सोना हिंदू समाज की संपत्ति है, न कि सरकार की।
हिन्दू महासभा नेताओं ने कहा कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक व लगभग हर राज्य़ में यही हो रहा है। मंदिर से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल मस्जिदों और चर्चों के निर्माण में किया जा रहा है। इस एक्ट के तहत कब्जा सरकारें सिर्फ मंदिरों पर ही कर रही है मसिजदों, चर्चों , गुरुद्वारों ,मजारों व अन्य धार्मिक स्थानों पर सरकारें कोई कब्जा नही कर रही है। सिर्फ हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति को खत्म करने की योजना तहत यह कानून आज तक लागू है। पंजाब मे हिन्दू संगठनों ने हिन्दू मंदिर एक्ट लागू करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस एक्ट की पांडू लीपि दी हुई है। परंतु पंजाब सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है और हिन्दूओं की एक्ता को तोड़ने के लिए राज्य में जातियों पर आधारित कल्याण बोर्ड गठित कर रही है। देश भर में हिन्दू महासभाई इस 1951 वाले एक्ट को खत्म करवाने के लिए आवाज बुलंद करेंगे।
जारी कर्ता
आचार्य पंकज शर्मा
प्रवक्ता
अखिल भारत हिन्दू महासभा
9463672734

20/04/2021

---- प्रेस नोट---
कैप्टन पंजाब में लागू करे हिन्दू मंदिर प्रबंधन एक्ट : राज शर्मा
- ब्राह्मण कल्याण बोर्ड का स्वरूप स्पष्ट करे पंजाब सरकार
अमृतसर , 20 अप्रैलः
अखिल भारत हिन्दू महासभा के राज्य अध्यक्ष राज कुमार शर्मा ने कहा कि पंजाब के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने चुनावी वायदे को मुख्य रखते हुए राज्य में हिन्दू मंदिर प्रबंधक एक्ट को लागू करे। मुख्य मंत्री लगातार अपने वायदों से भाग रहे है। पंजाब में कांग्रेस की सरकार बने हुए चार वर्ष से अधिक समय हो गया है। अगले वर्ष नए चुनाव आने वाले है। परंतु कैप्टन अमरिंदर सिंह वायदे के अनुसार राज्य में हिन्दू मंदिर प्रबंध एक्ट न तो बनाया और न ही लागू किया है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले पंजाब के हिन्दू संगठनों की ओर से कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्य सचिव को पंजाब हिन्दू मंदिर एक्ट की पांडू लिपि भी सौंपी थी। जिस पर सरकार ने विचार कर पंजाब हिन्दू मंदिर एक्ट लागू करने का आश्वासन दिया था । उन्होंने कहा कि सरकार अपना वायदा पूरा करने में असफल हुई है। सरकार ने राज्य के अंदर ब्राह्मण कल्याण बोर्ड तो बना दिया। परंतु अभी तक उसका स्वरूप सर्वजनक नही किया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन राज्य के अंदर हिन्दू कल्याण बोर्ड स्थापित करे। क्यों कि इस वक्त हिन्दू राज्य में अल्पसंख्यक है। उन्होंने आने वाले विधान सभा चुनावों में अखिल भारत हिन्दू महासभा अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इस के लिए राज्य में आपसी भाईचारे को मजबूत करने के लिए अन्य समान विचारों वाली पार्टियों के साथ गठजोड़ भी करेगी।
अखिल भारत हिन्दू महासभा की ओर से साथ ही पार्टी का विस्तर अभियान तेज कर दिया गया है। इसी के चलते हिन्दू महासभा के जिला अध्यक्ष गुलशन राय की ओर से महासभा के राज्य अध्यक्ष राज कुमार शर्मा की मौजूदगी में पार्टी का विस्तार करते हुए धर्मेंद्र कुमार को जिला संगठन मंत्री नियुक्त किया गया। विक्की कुमार को जिला कार्यकारिणी कमेटी में सदस्य नियुक्त किया गया। साजन कुमार को अमृतसर सैंट्रल मंडल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जबकि अर्जुन शर्मा को विधान सभा क्षेत्र वेस्ट का प्रभारी नियुक्त किया गया । राज कुमार को वार्ड नंबर 67 का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- जारी कर्ता
राज कुमार शर्मा
राज्य अध्यक्ष
अखिल भारत हिन्दू महासभा
पंजाब
9915853461

20/04/2021
18/10/2020
22/08/2020

—— प्रेस रिलीज ——
विश्वविद्यालयों व कालेजों की फाईनल परीक्षाएं आयोजित करवाए सरकार: एनएसएफ
— मुख्यमंत्री शिक्षण संस्थानों की ओर से वसूली जा रही फीसों को रोकने के लिए भी जारी करें नोटिफिकेशन
अमृतसर , 22 अगस्त :
नेशनल स्टूडेंट्स फेडशन की पंजाब प्रदेश कार्यकारिणी कमेेटी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमंरिदर सिंह से मांग की है कि इस वर्ष कालेजों व विश्वविद्यालयों की फाइनल परीक्षाएं जल्दी से जल्दी आयोजित की जाए। फाईल वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं आयोजित न होने के कारण उनका एक वर्ष बरबाद हो रहा है। एनएसएफ ने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि कोरोना काल के दौरान के समय की फीसें वसूले से भी सरकार शिक्षण संस्थानों पर रोक लगाने का अध्यादेश जारी करे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मात्र वीडियो क्लिप जारी करके फीसे न जमा करवाने संबंधी अभिभावकों को पशोपेश की स्थिति में डाल रहे है।
एनएसएफ के राज्य सचिव राजबीर सिहं राजबिंद और जिला अध्यक्ष अजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना प्रभाव के चलते रहे लाक डाउन के कारण विद्यार्थी शिक्षण संस्थानों में नही गए है। इसके चलते अभी तक विश्वविद्यालयों की ओर से अलग अलग कोर्सों के फाईन में पढने वाले विद्यार्थियों की परीक्षाओं को आयोजित नही किया गया है। क्योंकि यूजीस परीक्षाएं लेने के पक्ष में है परंतु मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह परीक्षाएं लेने के पक्ष में नही है। यूजीसी और मुख्यमंत्री के आपसी टकराव वाले फैसलों से प्रत्येक कोर्स के फाइनल वर्ष के विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
एनएसएफ नेताओं ने कहा कि अगर दिल्ली , मुबई और चंडीगढ के विश्वविद्यालय आन लाइन परीक्षाएं फाईनल वर्ष के विद्यार्थियों के ले सकते है तो पंजाब के विश्वविद्यालय यह परीक्षाएं आनलाइन क्यों नही आयोजित कर सकते। एनएसएफ की मांग है कि पंजाब सरकार अलग से आदेश जारी करे कि जितना समय शिक्षण संस्थान रेगुलर नही खुलते तब तक की फीसें और फंड तथा अन्य खर्च भी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से न वसूले जाए। इस संबंधी नोटिफिकेशन जारी होना चाहिए। न कि मुख्यमंत्री एक वीडिया क्लिप वायरल करके अभिभावकों के लिए कोई परेशानी खडी करें। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने विद्यार्थियों की फीसों के संबंध में कोई सार्थक फैसला न लिया तो संगठन को संघर्ष का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पडेगा।
— जारी कर्ता
राजबीर सिंह राजबिंदर
राज्य सचिव
नेशनल स्टूडेंटस फेडरेशन
एनएसएफ
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11/08/2020

निजी स्कूलों की धक्काशाही नही होगी सहन: एनएसएफ
अमृतसर , 11 अगस्त
नेशनल स्टूडेंट्स फडरेशन ने निजी स्कूलों की ओर से अभिभावकों व छात्रों के साथ फीस वसूली के नाम की की जा रही धक्काशाही की सख्त निंदा की है। संगठन इस ममाले में अभिभावकों की​ ओर से शुरू किए जाने वाले प्रत्येक आंदोलन में हर तरह का सहयोग देने का एलान किया है।
एनएसएफ के राज्य सचिव राजबीर सिंह राजबिंदर और जिला अध्यक्ष ठाकुर विजय सिंह ने बताया कि राज्य भर में निजी स्कूलों की ओर से अदालत के कथित आदेशों की गलत व्याख्या करके अभिभावकों से फीस के नाम पर लगभग सभी फंडों को वसूला जा रहा है। जो कि प्राईवेट फीस रेगुलेटरी एक्ट और राईटस टू एजूकेशन एक्ट का खुलेआम उल्लंघन है। इस के साथ साथ स्कूलों की ओर से उपभोक्ता सरंक्षण एक्ट की भी खुलेआम धज्जियां उडाई जा रही है। छात्र नेताओं ने कहाकि जब छात्र सिर्फ आन लाइन क्लासिस के अलावा अन्य कोई भी सुविधा नही ले रहे है तो फिर स्कूलों के प्रबंधकों की ओर से किस फार्मूला और नियम के तहत अभिभावकों से सौ प्रतिशत फीसें और हर वर्ष का दाखिला फीस वसूली जा रही है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे स्कूलों की ओर से वाहन चार्ज और अन्य फीसों को भी जब्रदस्ती वसूला जा रहा हैै । जो अभिभावक कोरोना लाक डाउन के कारण अपनी आर्थिक स्थिति को प्रभावित का चुके है। उनके बच्चों के नामों को फीस न जमा करवा पाने के कारण स्टडी ग्रुपों में उनको नामों को काट कर उनको मानसिक और समाजिक प्रताडित किया जा रहा है।
एनएसएफ नेताओं ने कहा कि निजी स्कूलों की धक्काशाही इतनी बढ गई है ​कि वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एलानों की भी प्रवाह किए बिना मनमर्जी करते हुए बच्चों को अभिभावकों को उनके बच्चों के नाम स्कूलों से काटने और उनके आन लाइन इम्तिहान तक न लेने की ध​मिमकयां देते हुए सौ प्रतिशत फीसें जमा करवाने के लिए मजबूर कर रहे है। जिस को किसी भी कीमत पर सहन नही किया जाएगा। अमृतसर के कैंब्रिज स्कूल , राम आश्रम स्कूल तथा राज्य के अन्य ग्रुप समूह स्कूल पैसों की कथित लूट में सत्ता में बैठे लोगों की शह पर धक्काशाही अपना रहे है। इस मामले को लेकर राज्य में अभिभावकों की ओर से संघर्ष शुरू किया जा रहा है। जिस को नेशनल स्टूडेट्स फेडरेशन हाल समर्थन करके निजी स्कूलों की धक्काशाही को बंद करवाएगी और निजी स्कूलों के प्रबंधकों की सत्ताधारियों के साथ पर्दे के पीछे हुए गठजोड़ को दुनिया के सामने नंगा किया जाएगा।
— जारी कर्ता
ठाकुर विजय सिह
जिला अध्यक्ष
नेशनल स्टूडेट्स फेडरेशन

18/07/2020
06/07/2020

National Students Federation creating watsapp group please send your number name and city who had the number in WatsApp group

05/07/2020

—— प्रेस रिलीज ——
विश्वविद्यालयों व कालेजों की परीक्षाएं रद्द करने का मुख्यमंत्री का फैसला सही: एनएसएफ
— मुख्यमंत्री शिक्षण संस्थानेां की ओर से वसूली जा रही फीसों को रोकने के लिए भी जारी करें आदेश
अमृतसर , 5 जुलाई:
नेशनल स्टूडेंट्स फेडशन की पंजाब प्रदेश कार्यकारिणी कमेेटी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमंरिदर सिंह की ओर से इस वर्ष कालेजों व विश्वविद्यालयों की फाइनल परीक्षाएं कोरोना के प्रभाव को मुख्य रख रद्द करने के फैसले का स्वागत किया है। वहीं संगठन ने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि कोरोना काल के दौरान के समय की फीसें वसूले से भी सरकार शिक्षण संस्थानों पर रोक लगाने का अध्यादेश जारी करे।
एनएसएफ के राज्य महासचिव विकास कुमार शर्मा और जिला अध्यक्ष अजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कोरोना प्रभाव के चलते रहे लाक डाउन में विद्यार्थी शदहत के कारण अपने पाठ्यक्रम की तैयारियां सही ढंग से नही कर पाए है । वहीं कक्षाएं भी नहीं लगी । अगर इस दौरान परीक्षाएं होती तो कोरोना वायरस के फैलने का प्रभाव और बढ जाता। अगर परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों का कोरोना के कारण किसी तरह का जानी नुकसान हो जाता तो उसकी जिम्मेवारी कौन लेता। क्या राज्य सरकार ,राज्य सरकार के अधिकारी, शिक्षण संस्थानों के अधिकारी या जिला प्रशासन के अधिकारी इन की जिम्मेवारी लेने के लिए है। जब दुनिया भर में कोरोना को महामारी एलान किया जा चुका है तो पंजाब ओर भारत में भी इसे उसी नजरिया से लेते हुए सख्ती बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विश्वविद्यालयों और कालेजों की परीक्षाएं रद्द करने का सही फैसला लिया है। वही शिक्षण संस्थानों को विद्यार्थियों की आनलाइन परीक्षाएं लेनी भी बंद करनी चाहिए। उन्होंने सरकार अलग से आदेश जारी करे कि जिनता समय शिक्षण संस्थान रेगुलर नही खुलते तब तक की फीसें और फंड तथा अन्य खर्च भी विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से न वसूले जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने विद्यार्थियों की फीसों के संबंध में कोई सार्थक फैसला न लिया तो संगठन को संघर्ष का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पडेगा। इस दौरान संगठन के नेता विकास बेरी, पवन कुमार , राजबीर सिंह राजबिंदर आदि भी मौजूद थे।
— जारी कर्ता
ठाकुर विजय सिंह
जिला अध्यक्ष
नेशनल स्टूडेंटस फेडरेशन
एनएसएफ

31/12/2019

भारतीय इतिहास में रामप्यारी गुर्जर कौन थी?
हमारी इतिहास कि किताबे मुगलों और गांधी में इतनी खो गई हैं कि भारतीय इतिहास के ज़रूरी अध्याय ही गायब कर दिए गए हैं।
रामप्यारी गुर्जर
भारतीय इतिहास का एक भुला दिया गया ' पन्ना ' । लगभग कोई नहीं जानता कि वह कौन थी !
इतिहासकार तैमूर की दिल्ली विजय का खूब बखान करते हैं लेकिन मेरठ और हरिद्वार के बारे में लिखने से बचते हैं।
वीरांगना रामप्यारी गुर्जर का जन्म गुर्जरगढ (वर्तमान मे सहारनपुर) क्षेत्र में हुआ था। सहारनपुर की वीर चौहान वंश में उनका जन्म हुआ था तो उनका बचपन से ही वीर होना स्वाभाविक था। तब , एक मात्र २० साल की हिंदू वीरांगना के नेतृत्व में ४०००० वीरांगनाओ और ६००००० वीरों की फ़ौज तैयार हुई। जिसमें जाट, गुर्जर, राजपूत, ब्राह्मण, दलित, आहीर व आदिवासी सब शामिल थे वो वीरांगना थी रामप्यारी और उसने मेरठ और आस पास के सभी गांवों को खाली करवा दिया ।
जब तैमूर अपनी सेना के साथ पहुंचा तो ये देख कर परेशान हो गया । तब दिन में वीर सैनिकों ने तैमूर पर हमला कर दिया और उसकी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया और रात में रामप्यारी गुजरी के साथ वीरांगनाओ ने हमला किया और तैमूर की सेना के छक्के छुड़ा दिए । उनका राशन बर्बाद कर दिया। दोनों तरफ सैनिक मरे लेकिन तैमूर की सेना में मरने वालो की संख्या बहुत ज्यादा थी । इससे उसके सैनिक बेचैन हो गए । फिर उसने मेरठ को छोड़ हरिद्वार की ओर रुख किया ।
हरिद्वार में भी तैमूर की सेना का वहीं हस्र हुआ जो मेरठ में हुआ। आखिरी युद्ध में एक २२ साल के जाट हरबीर सिंह गुलिया ने तैमूर के सीने पर तीर मारा । रात में वापिस से रामप्यारी ने हमला किया और उसकी सेना को समेट कर रख दिया। इस से घबराकर तैमूर वहीं भाग गया जहां से आया था और इस चोट से कभी नहीं उबर पाया और ७ साल बाद मर गया।
मेरठ, हरिद्वार और गढवाल में गुर्जरों का इतना दबदबा था कि तैमूर जैसा नर पिशाच भी अपना कदम यहां जमा नहीं पाया। दिल्ली में तैमूर ने लूट पाट मार काट मचा रखी थी। करीब एक लाख हिन्दुओं को मारकर उनके सिरों का पिरामिड बना दिया । उसका अत्याचार दिन ब दिन ज्यादा हो रहा था और वह दिल्ली से आगे बढने की मंशा में था। तब देवपाल के सर्व खाप ने सभी समुदायों को इकठ्ठा कर महापंचायत बनाई जिसमें अस्सी हज़ार पुरुष यॊद्धाओं का नेतृत्व महाबली जॊगराज सिंह ने किया।
1398 मॆं हिन्दुओं की सेना ने तैमूर की सेना पर ऐसा कहर बरसाया कि उसे भारत छॊड़कर दुम दबाकर भागना पड़ा था। । सभी समुदाय ने एक जुट होकर तैमूर को जो घाव दिया उससे वह उभर ही नहीं पाया और भारत से लौटने के कुछ ही समय पश्चात उसका देहांत भी हो गया।
जरा सॊचिये अगर उस दिन हिन्दुओं ने जाति का अंतर मिटाकर एक जुट हॊकर तैमूर के खिलाफ़ युद्ध नहीं लड़ा होता तो आज भारत में एक भी हिन्दू जिंदा ना होता।
इतिहास से हमें कुछ सीख लेना चाहिए। धर्मनिरपॆक्षता की आड़ में आज भी हिन्दुओं के ऊपर अत्याचार हो रहा है। अगर आज हम एक नहीं होंगे तो हमारा अस्तित्व ही मिट जायेगा।
इतिहास के उन सभी महानायक नायिकाओं को प्रणाम करते हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर धर्म की रक्षा की है। हो सके तो अपने बच्चों को उनके शौर्य से परिचय करवाईये ।

30/09/2019

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03/09/2019

सुप्रभातम ... जयतु जय जय हिन्दू राष्ट्रम .....
#अखिल #भारत #हिन्दू #महासभा के निष्ठावान हिन्दू महासभाई भैय्या - बहिनो के लैऐ एक और हर्षदायक समाचार ये है कि " वीर सावरकर जी व गोड़से जी के एक बहुत बड़ा वौद्धिक वर्ग महासभा के स्वंभू राष्ट्रीय अध्यक्षो की आपसी खीचातान तथा गुट परस्ती से व्यथित होकर " हिन्दू महासभा ( राष्ट्रवादी ) के नाम से सावलकर जी द्वारा स्थापित आदर्शो -नीति-सिधान्तो पर चलते हुऐ हिन्दूत्व ल राष्ट्रवादी कार्यो को कर रहा था , इसी बीच जब मेरे द्वारा सोशल मीड़िया पर अपड़ेट पोस्ट मे दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फरवरी 2019 के एक निर्णय ने कौशिक, चक्रपाणी , त्रिदंड़ी स्वामी , पं नन्द किशोर मिश्रा को अवैध गोषित किऐ जाने का समाचार लिखा गया उसके पश्चात हिन्दू महासभा ( राष्ट्रवादी ) के प्रमुख नेताओ द्वारा मुझसे वार्ता की गयी , हमने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी ।
रविवार व सोमवार को हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी नेताओ के प्रतिनिधि मंड़ल था हमने बैठक आयोजित की जिसमे समस्त बिन्दूओ व संगठनात्मक ताने - बाने को मजबूत करने तथा आगामी पंचवर्षीय ऐजेन्ञे पर महासभा को सुदृड़ता प्रदान करने पर विचार विमर्श किया गया ।
प्रतिनिधि मंड़ल ने उन सभी न्यायिक आदेशो का अवलोकन किया जिन आदेशो के अनुरूप कौशिक , चक्रपाणि , पं नन्द चिशोर मिश्रा जी , और त्रिदंड़ी जी , हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नही ।
हिन्दू महासभा ( राष्ट्रवादी ) का विधिवत विलय 15 सितंबर 2019 को प्रस्तावित " राष्ट्रीय अधिवेशन मे महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री राज्यश्री चौधरी जी " हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी का स्वागत कर करेगी । - मुकुल मिश्रा , 9636818726

25/08/2019
nsfindia

——— प्रेस रिलीज ————
पंजाब विश्वविद्यालय छ़़ात्र संघ की अध्यक्ष खिलाफ हो द्रेश द्रोह कानून तहत कार्रवाई: एनएसएफ

— देश को तोड़ने वाली शक्तियों का साथ देने वाली छ़ात्र संघ की अध्यक्ष पर भविष्य में किसी भी तरह के चुनावों में हिस्सा लेने की लगाई जाए रोक
अमृतसर , 18 अगस्त
नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने पंजाब विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स कांउसिल की अध्यक्ष कनुप्रिया की ओर से देश विरोधी खालिस्तानियों का समर्थन करने खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए उसके खिलाफ देश द्रोह का मुकद्दमा दायर करने की मांग की है। पास लिए गए प्रस्ताव की प्रति भारत सरकार को भी भेजी गई है।
एनएसएफ के राज्य सचिव राजबीर और हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी के सचिव राजविंदर राजा ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय की छात्र कौंसिल की अध्यक्ष कनुप्रिया की ओर से देश को तोड़ने वाली साजिशों में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मीडिया से समाने आया है कि कनुप्रिया ने देश को तोड़ने वाले खालिस्तान स्मर्थकों के अभियान रिफ्रेंडम 2020 के पक्ष में प्रचार ही नहीं किया बल्कि स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को खालिस्तानी समर्थकों की ओर से आयोजित किए गए काले दिवस में भी हिस्सा लेकर देश विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है। देश के विरूद्ध जाने का संदेश एक चुनी ही छात्र प्रतिनिधि की ओर से दिया जाना पूरी तरह देश द्रोह के घेरे में आता है। देश के अंदर रह कर देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने को देश के लोग व छ़ात्र तथा युवा वर्ग किसी भी कीमत पर सहन नहीं कर सकता। इस लिए पंजाब विश्वविद्यालय के वीसी व सिंडीकेट तथा सिनेट में यह पास किया जाना चाहिए कि देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले किसी भी विद्यार्थी को विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होना चाहिए। कनुप्रिया के उपर भविष्य में भारत के संविधान के अंदर होने वाले किसी भी तरह की चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से रोका जाए वही उसका दाखिला भी विश्वविद्यालय से रद्द किया जाए। इस अवसर पर छात्र व महासभा के पदाधिकारी पवन पुंज, एडवोकेट गगन भाटिया, एडवोकेट कुलदीपक मेहता, अश्वनी कुमार शर्मा, रजिंदर कुमार , संजीव कुमार, विकास बेरी व ठाकुर विजय सिंह आदि भी मौजूद थे।
— जारी कर्ता
राजबीर
महासचिव
नेशनल स्टूडेट्स फेडरेशन

एनएसएफ

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— राजविंदर राजा
महामंत्री

हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी

hindumahasabha.yolasite.com

  NSF  is a Revolutionary Nationalist  Redical Students organization. NSF is January established in 1990  at Amritsar city  the state in Punjab in India .The nationalist  revolutionary ideology based students belonged to different students organizations like  AISSF,NSUI,SFI AND PSU adopt...

18/08/2019
nsfindia

——— प्रेस रिलीज ————
पंजाब विश्वविद्यालय छ़़ात्र संघ की अध्यक्ष खिलाफ हो द्रेश द्रोह कानून तहत कार्रवाई: एनएसएफ

— देश को तोड़ने वाली शक्तियों का साथ देने वाली छ़ात्र संघ की अध्यक्ष पर भविष्य में किसी भी तरह के चुनावों में हिस्सा लेने की लगाई जाए रोक
अमृतसर , 18 अगस्त
नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने पंजाब विश्वविद्यालय स्टूडेंट्स कांउसिल की अध्यक्ष कनुप्रिया की ओर से देश विरोधी खालिस्तानियों का समर्थन करने खिलाफ प्रस्ताव पारित करते हुए उसके खिलाफ देश द्रोह का मुकद्दमा दायर करने की मांग की है। पास लिए गए प्रस्ताव की प्रति भारत सरकार को भी भेजी गई है।
एनएसएफ के राज्य सचिव राजबीर और हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी के सचिव राजविंदर राजा ने कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय की छात्र कौंसिल की अध्यक्ष कनुप्रिया की ओर से देश को तोड़ने वाली साजिशों में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मीडिया से समाने आया है कि कनुप्रिया ने देश को तोड़ने वाले खालिस्तान स्मर्थकों के अभियान रिफ्रेंडम 2020 के पक्ष में प्रचार ही नहीं किया बल्कि स्वतंत्रा दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को खालिस्तानी समर्थकों की ओर से आयोजित किए गए काले दिवस में भी हिस्सा लेकर देश विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लिया है। देश के विरूद्ध जाने का संदेश एक चुनी ही छात्र प्रतिनिधि की ओर से दिया जाना पूरी तरह देश द्रोह के घेरे में आता है। देश के अंदर रह कर देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने को देश के लोग व छ़ात्र तथा युवा वर्ग किसी भी कीमत पर सहन नहीं कर सकता। इस लिए पंजाब विश्वविद्यालय के वीसी व सिंडीकेट तथा सिनेट में यह पास किया जाना चाहिए कि देश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले किसी भी विद्यार्थी को विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होना चाहिए। कनुप्रिया के उपर भविष्य में भारत के संविधान के अंदर होने वाले किसी भी तरह की चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने से रोका जाए वही उसका दाखिला भी विश्वविद्यालय से रद्द किया जाए। इस अवसर पर छात्र व महासभा के पदाधिकारी पवन पुंज, एडवोकेट गगन भाटिया, एडवोकेट कुलदीपक मेहता, अश्वनी कुमार शर्मा, रजिंदर कुमार , संजीव कुमार, विकास बेरी व ठाकुर विजय सिंह आदि भी मौजूद थे।
— जारी कर्ता
राजबीर
महासचिव
नेशनल स्टूडेट्स फेडरेशन
एनएसएफ
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— राजविंदर राजा
महामंत्री
हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी
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19/07/2019
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—————प्रेस नोट ——————
कलाकार हारड कौर के खिलाफ भारत सरकार करे सख्त कानूनी कार्रवाई: हिन्दू महासभा

— देश भर के हिन्दूं संगठर हाडर कौर के फूंके पुतल
— हिन्दू महासभा हारड कौर की भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर हाई कोर्ट में दायर करेगी जन हित याचिका
अमृतसर , 19 जूलाई
हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी ने यूके आधारित कलाकार तरनजीत कौर ढिल्लों उर्फ हारड कौर के खिलाफ सिख फार जस्टिस के लिए खालिस्तान का प्रचार करने व सिख फार जस्टिस की गतिविधियों का खुल कर समर्थन करने के लिए एलान को मुख्य रख उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। महासभा ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि हारड कौर की सारी सोशल मीडिया साइटों व उसके सारे गीतों को भारत के बैन किया जाए। हारड कौर की ओर से हाल में ही वायरल की गई अपनी एक वीडियो क्लिप के माध्यम से लोगों को खालिस्तान में वोटिंग करने की अपील की है ।
हिन्दू महासभा के राष्ट्रवादी के अध्यक्ष एडवोकेट गगन भाटिया व महामंत्री राजविंदर राजा ने कहा कि हारड कौर ने अपने इंस्टाग्राम आकउंट में जो वीडियों डाली है उसमें उसने रिफेंडम 2020 को समर्थन व प्राचारित करने की टीशर्ट्स भी पहनी हुई है। हारड कौर की यह गतिविधियां बताती है कि हारड कौर खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए काम करते हुए भारत को तोड़ने की साजिशों में लगी हुई है। इस लिए हारड कौर के खिलाफ भारत सरकार की ओर से सख्त कानूनी प्रक्रिया शुरू किया जाना समय की जरूरत है। हारड कौर ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को भी अपनी वीडियो टैग की हुई है।
हिन्दू महासभा नेताओं ने कहा कि जो कलाकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ , आरएसएस मुखी मोहन भागवत के खिलाफ पोस्टे अपने सोशल मीडिया पर डालती है और हिन्दू धर्म व भारत देश को खुलेआम चुनौती देती है उसे किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाना चाहिए। हिन्दू महासभा ने सभी हिन्दू सगठनों से अपील की है कि देश भर में हाडर कौर के पुलते फूंके जाए। हाडर कौर के उपर पहले भी देश द्रोह के मामले दर्ज है। हिन्दू महासभा हारड कौर की भारत विरोधी गतिविधियों को लेकर हाई कोर्ट में एक जन हित याचिका भी दायर करेगी।
— जारी कर्ता
राजविंदर राजा
महामंत्री
हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी
hindumahasabta.yolasite.com

16/07/2019

भीम राव राम अंबेडकर धरती का सबसे बड़ा देशद्रोही था आज भी उसके मानने वाले लव जेहाद से अधिक कुछ भी नही कर सकते --

1---पाकिस्तान की मांग करने वाले मुस्लिम लीग के लाहौर प्रस्ताव (1940) के बाद, अंबेडकर ने पाकिस्तान पर विचार नामक 400 पृष्ठ का एक पथ लिखा, जिसने अपने सभी पहलुओं में "पाकिस्तान" की अवधारणा का विश्लेषण किया। अंबेडकर ने तर्क दिया कि हिंदुओं को पाकिस्तान को मुसलमानों को देना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि मुस्लिम और गैर-मुस्लिम बहुमत वाले हिस्सों को अलग करने के लिए पंजाब और बंगाल की प्रांतीय सीमाओं को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए। उसने सोचा कि मुसलमानों को प्रांतीय सीमाओं को कम करने में कोई आपत्ति नहीं हो सकती है। यदि वे करते हैं, तो वे "अपनी मांग की प्रकृति को नहीं समझते"। विद्वान वेंकट धूलिपाला कहते हैं कि पाकिस्तान पर विचार "भारतीय राजनीति को एक दशक तक हिलाकर रख देते हैं"। इसने भारत के विभाजन का मार्ग प्रशस्त करते हुए मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच संवाद का मार्ग निर्धारित किया था ।
2---जुलाई 1941 में,भीम राव राम जी अंबेडकर को अंग्रेज वाइसराय की कार्यकारी परिषद की रक्षा सलाहकार समिति में नियुक्त किया गया था।

3---महारों को मराठा राजा शिवाजी और संभाजी ने अपनी सेना में स्काउट, सैनिक और किले रक्षक के रूप में भर्ती की परम्परा आरम्भ किया था। महार शिवाजी की सेना के महत्वपूर्ण घटकों में से एक थे। अंग्रेजो के रक्षा सचिव भीम राव राम
अंबेडकर ने एक महार रेजिमेंट के लिए अंग्रेजी सैन्य प्रतिष्ठान के भीतर दबाव डालने के लिए इस नियुक्ति का इस्तेमाल किया। उन्होंने महारों से भी बड़ी संख्या में सेना में शामिल होने की अपील की। अक्टूबर में, सेना ने दिया, और 13 वीं फ्रंटियर फोर्स राइफल्स और सब के लेफ्टिनेंट कर्नल एचजेआर जैक्सन के तहत बेलगाम में महार रेजिमेंट की पहली बटालियन को खड़ा किया गया।
4--- अंग्रेजो का मार्शल रेस थ्योरी ( सैनिक और कायर नस्ल का सिद्धांत )----
1857 विद्रोह के बाद, भारतीय सेना के ब्रिटिश अधिकारी, विशेषकर जिन्होंने पहले और दूसरे अफगान युद्धों में सेवा की थी, ने मार्शल रेस थ्योरी को महत्व देना शुरू किया। यह सिद्धांत था कि भारतीयों के बीच कुछ नस्लों और समुदायों को स्वाभाविक रूप से युद्ध पसंद था, और दूसरों की तुलना में युद्ध के लिए अधिक अनुकूल था। इस सिद्धांत के एक प्रमुख प्रस्तावक लॉर्ड रॉबर्ट्स थे , जो नवंबर 1885 में भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ बने। अन्य समुदायों के विद्रोह के लिए भारतीय सेना का एक क्रमिक "पंजाबीकरण" था। अंग्रेजो से महार सैनिकों के लिए अंतिम झटका 1892 में आया, जब भारतीय सेना में " जातिगत रेजिमेंट" का गठन करने का निर्णय लिया गया। इन वर्ग रेजिमेंटों में महारों को शामिल नहीं किया गया था, और यह अधिसूचित किया गया था कि कुछ अन्य वर्गों के साथ महारों को अब भारतीय सेना में भर्ती नहीं किया जाएगा। महार सैनिकों, जिनमें 104 वायसराय के कमीशन अधिकारी और गैर-कमीशन अधिकारियों और सिपाहियों के एक मेजबान शामिल थे, को ध्वस्त कर दिया गया था। इस घटना को महारों ने एक सरकार द्वारा अपनी वफादारी के विश्वासघात के रूप में माना था जो उन्होंने सौ वर्षों तक सेवा की थी।
भीम राव राम अंबेडकर ने अंग्रेजी रक्षा सचिव बनते ही अंग्रेजो की चापलूसी की राजनीति करते हुए अंग्रेजो से हिन्दुस्तान के विरूद्ध अनेक साजिश रचने का वादा करके दुबारा अंग्रेज सेना मे महारों की भर्ती आरम्भ किया ।
------ एक भाजपा कार्यकर्ता

14/07/2019

सुभाषचंद्र बोस और आई. एन. ए. (आजाद हिन्द फ़ौज)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्वतंत्रता संघर्ष के विकास में आजाद हिन्द फ़ौज के गठन और उसकी गतिविधियों का महत्वपूर्ण स्थान था|इसे इन्डियन नेशनल आर्मी या आईएनए के नाम से भी जाना जाता है| रास बिहारी बोस नाम के भारतीय क्रांतिकारी, जो कई सालों से भारत से भागकर जापान में रह रहे थे, ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे भारतीयों के सहयोग से इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का गठन किया| जब जापान ने ब्रिटिश सेना को हराकर दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग सभी देशों पर कब्ज़ा कर लिया तो लीग ने भारतीय युद्धबंदियों को मिलाकर इन्डियन नेशनल आर्मी को तैयार किया ताकि भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति दिलाई जा सके| ब्रिटिश भारतीय सेना में अधिकारी रहे जनरल मोहन सिंह ने इस आर्मी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| इसी दौरान 1941 में सुभाष चन्द्र बोस भारत की स्वतंत्रता के लिए भारत से भागकर जर्मनी चले गए| 1943 में वे इन्डियन इन्डिपेंडेंस लीग का नेतृत्व करने के लिए सिंगापुर आये और इन्डियन नेशनल आर्मी (आजाद हिन्द फ़ौज) का पुनर्गठन किया ताकि वह भारत की स्वतंत्रता को प्राप्त करने का महत्वपूर्ण हथियार बन सके| आजाद हिन्द फ़ौज में लगभग 45,000 सैनिक शामिल थे, जिनमे भारतीय युद्धबंदियों के अलावा वे भारतीय भी शामिल थे जो दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देशों में बस गए थे|

21 अक्टूबर ,1943 में सुभाष बोस, जिन्हें अब नेताजी के नाम से जाना जाने लगा था, ने सिंगापुर में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार (आजाद हिन्द) के गठन की घोषणा कर दी| नेताजी अंडमान गए,जो उस समय जापानियों के कब्जे में था,और वहां भारतीय झंडे का ध्वजारोहण किया| 1944 के आरम्भ में आजाद हिन्द फ़ौज (आईएनए) की तीन इकाइयों ने भारत के उत्तर पूर्वी भाग पर हुए हमले में भाग लिया ताकि ब्रिटिशों को भारत से बाहर किया जा सके| आजाद हिन्द फ़ौज के सबसे चर्चित अधिकारियों में से एक शाहनवाज खान के अनुसार जिन सैनिकों ने भारत में प्रवेश किया वे स्वयं जमीन पर लेट गए और भावुक होकर अपनी पवित्र मातृभूमि को चूमने लगे| हालाँकि,भारत को मुक्त करने का आजाद हिन्द फ़ौज का प्रयास सफल नहीं हो सका|

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन ने जापानी सरकार को भारत के मित्र के रूप में नहीं देखा|उसकी सहानुभूति जापानी हमलों के शिकार हुए देशों के लोगों के प्रति थी|हालाँकि,नेताजी का मानना था कि जापान के समर्थन,आजाद हिन्द फ़ौज के सहयोग और देश के अन्दर होने वाले विद्रोह के द्वारा भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़कर फेंका जा सकता है| आजाद हिन्द फ़ौज का दिल्ली चलो का नारा और जय हिन्द की सलामी देश के अन्दर और बाहर दोनों जगह भारतीयों की प्रेरणा की स्रोत थी|भारत की स्वतंत्रता के लिए नेताजी ने दक्षिण पूर्व एशिया में रह रहे सभी धर्मों और क्षेत्रों के भारतीयों को एकत्र किया| भरतीय स्वतंत्रता की गतिविधियों में भारतीय महिलाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी|आजाद हिन्द फ़ौज की महिला रेजीमेंट का गठन किया गया,जिसकी कमान कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के हाथों में थी| इसे रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट कहा जाता था| आजाद हिन्द फ़ौज भारत के लोगों के लिए एकता का प्रतीक और वीरता का पर्याय बन गयी|जापान द्वारा आत्मसमर्पण करने के कुछ दिन बाद ही नेताजी,जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के महानतम नेताओं में से एक थे,की एक हवाई दुर्घटना में मौत की खबर आई|

द्वितीय विश्व युद्ध 1945 में फासीवादी जर्मनी और इटली की पराजय के साथ समाप्त हो गया| युद्ध में लाखों लोग मारे गए| जब युद्ध समाप्ति के करीब था और जर्मनी व इटली की हार हो चुकी थी, तभी संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापान के दो शहरों-हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए| कुछ ही क्षणों में ये शहर धराशायी हो गए और 200,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए| इसके तुरंत बाद जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया| हालाँकि,परमाणु बमों के प्रयोग के कारण युद्ध तो समाप्त हो गया लेकिन इसने विश्व में एक नए तरह का तनाव पैदा कर दिया और एक से बढकर एक ऐसे खतरनाक हथियारों को बनाने की होड़ लग गयी जोकि सम्पूर्ण मानव-जाति को ही नष्ट कर सकते है|

निष्कर्ष

आल इंडिया फारवर्ड ब्लॉक भारत का वामपंथी राष्ट्रीय राजनीतिक दल था,जिसका उदय 1939 में कांग्रेस के अन्दर से एक धड़े के रूप में हुआ था और इसका नेतृत्व सुभाष चन्द्र बोस ने किया था| प्रथम आईएनए का पतन हो चुका था बाद में सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 1943 में आईएनए का पुनर्गठन किया गया और बोस की सेना को अर्गी हुकूमत-ए-हिन्द घोषित किया गया|

04/07/2019
HMSR

-----प्रेस रिलीज ----

काली सूची में से 247 आतंकियों के नाम हटाना भारत की शांति के खतरा: हिन्दू महासभा

- भारत सरकार काली सूची में से काटे गए आतंकियों व उनके समर्थकों के नामों पर करे दोबारा रिव्यू

अमृतसर , 4 जुलाई:

हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी ने भारत सरकार की ओर से बनाई आतंकवादियों की काली सूची में से 247 आतंकवादियों के नामों को हटाने पर गहरी आपित्त प्रगट की है। भारत सरकार के इस फैसले को देश व पंजाब के भविष्य के लिए खतरनाक फैसला बताया है। हिन्दू महासभा ने मांग की है कि सूची पर दोबारा रिव्यू किया जाए। जिन खालिस्तानी आतंकियों और उनके समर्थकों के नाम काली सूची में से हटाए गए है उनके नामों को दाेबारा सूची में शामिल किया जाए।

हिन्दू महासभा राष्ट्रवादी के अध्यक्ष एडवोेकेट गगन भाटिया व महामंत्री राजविंदर राजा ने कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से वर्ष 1984 के दौरान पंजाब में हुई आतंकवादी घटनाओं के दौरान खालिस्तानी दहशतगर्दी में शामिल रहे लोगों और आतंकवादियों के समर्थक रहे लोगाें देश के अंदर आतंकी वारदातों को अंजाम देने के बाद वैध व अवैध ढंग से विदशों में जा कर शरण ले चुके थे। इन लोगों के नामों को भारत सरकार की ओर से काली सूची में शामिल कर के अलग अलग देशों में स्थित अपने दूतावरों को भेज दिया था। आज भी इन में से बहुत सारे लोग देश को तोडने की साजिशों में लगे हुए है। विदेशों में बैठ कर खालिस्तान का प्रचार कर रहे है। यहां तक कि देश में सरगर्म खालिस्तानी समर्थकों और आतंकियों का समर्थन समाजिक व आर्थिक रूप में कर रहे है। बहुत सारे विदेशों में बैठे खालिस्तानी समर्थक भारत को तोडने की साजिशों के तहत रिफ्रेंडम 2020 के पक्ष में प्रचार कर रहे है। अगर काली सूची में आतंकवादियों के समर्थकों को हटा दिया जाता है और उनको भारत में आने जाने की छूट दी जाती है तो यह लोग अपनी आदत व नीतियों के अनुसार दोबारा पंजाब के हालातों और शांति को प्रभावित कर सकते है। भारत सरकार की आेर से काली सूची में दर्ज 314 लोंगों के नामों में से 247 के नाम हटना देश के भाविष्य के खतरा है। सरकार को देश के शांतिमय हलातों और पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद के दौरान मारे गए निर्दोषों को मुख्य रखते हुए काली सूची से हटाए गए नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए।

- जारी कर्ता

राजविंदर राजा

महामंत्री

हिंदू महासभा राष्ट्रवादी

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