14/12/2024
मेरे युवा साथियो,
नमस्कार
भारत के युवा जैसे ही अपने बचपने को पार करके 18 वर्ष की युवावस्था में पैर रखते हैं उससे पहले ही देश के भ्रष्ट नेताओं ने और नेताओं द्वारा निर्मित देश की भ्रष्ट राजनीति ने इन 18 वर्ष के युवाओं को मतदाता बनाकर भ्रष्ट राजनीति का समर्थक बना दिया। क्योंकि 18 वर्ष के वोटर मतदाता बनते ही मतदान करने के अधिकारी तो बन जाते हैं परन्तु चुनावों में भाग 25 वर्ष की आयु तक नहीं ले सकते। जब 18 वर्ष की आयु वाले मतदाता चुनावों में भाग ले ही नहीं सकते तब इन्हें मतदाता क्यों बनाया? 18 वर्ष के युवाओं को मतदाता बनाने का कारण है इनसे मतदान करवाकर भ्रष्ट राजनीति और भ्रष्ट नेताओं के बनने का कारण इन 18 वर्ष के बचपने और युवावस्था से खेलते-कूदते मतदाताओं को मान लिया जाए ! आजकल चुनाव आयोग द्वारा दिल्ली की बसों में इन युवाओं को मतदाता बनाने का अभियान चल रहा है कि 1 जनवरी 2025 तक जिन युवाओं की आयु 18 वर्ष हो रही है वे युवा मतदाता बनने का आवेदन करें और मतदाता बनकर गर्व का अनुभव करें। क्या किसी भी जागरूक और जिम्मेवार नागरिक को भ्रष्ट राजनीति को समर्थन देने में और भ्रष्ट नेताओं को मतदान करके गर्व का अनुभव होना चाहिए? कदापि नहीं!
आपको मालुम होना चाहिए कि 18-25 वर्ष की आयु के मतदाता कुल मतदाताओं के लगभग 30 प्रतिशत हैं, और इनके मतदान से किसी भी राजनीतिक दल के हारने और जीतने की सम्भावनाओं में गम्भीर प्रभाव पड़ सकता है। सबसे अधिक मतदान करने वालों में युवा ही हैं, 40-50 वर्ष से ऊपर के मतदाता तो हमारी भ्रष्ट राजनीति से निराश होकर वोट डालना ही बंद कर देते हैं, और मतदान की घटती संख्या को देखकर ही हमारे नेताओं ने 18 वर्ष के युवाओं को मतदाता बना दिया। कोई आश्चर्य नहीं होगा कि भविष्य में मतदाता की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 या 15 वर्ष कर दी जाए। मतदाता की आयु कम करने से कौन सी राजनीतिक या सामाजिक वयवस्था में क्या सुधार हुआ?
18 वर्ष के युवाओं को मैं मूर्ख नहीं मानता न ही 18 वर्ष के युवा भ्रष्ट राजनीति और भ्रष्ट नेताओं के समर्थक बनना चाहते हैं, परन्तु इन युवाओं ने अभी तक शिक्षा पूरी की नहीं, गृहस्थ और सामाजिक जीवन का अनुभव नहीं है, देश का भ्रमण भी नहीं किया, सरकार कैसे बहुमत से बनेगी इसका न तो ज्ञान है, न ही कभी वाद विवाद हुआ, भ्रष्ट नेताओं की भ्रष्ट राजनीति ने 18 वर्ष के युवाओं को ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के मकड़जाल में उलझा दिया कि न चाहते हुए भी ये युवा मतदान में भाग लेकर स्वयं भ्रष्ट राजनीति के जिम्मेवार बन गए ! 18 वर्ष के युवाओं को प्रोत्साहित तो करना चाहिए था भ्रष्ट राजनीति को समाप्त करने के लिए, हो गया उसका बिल्कुल उल्टा। 18 वर्ष के युवाओं के मतदान से देश की सरकार बन सकती हैं, परन्तु 18 वर्ष के युवा चुनावों में भाग न लेने के कारण स्वयं सरकार में भागीदार नहीं बन सकते ! मेरे विचार से ये निर्णय अलोकतांत्रिक होने के साथ-साथ अन्याय से भरा हुआ भी है। यदि 18 वर्ष के युवा मतदान कर सकते हैं तो इन्हें अधिक से अधिक 6 महीने या एक साल का अन्तर रखकर इन युवाओं को चुनावों में भाग लेने का अधिकार भी मिलना चाहिए। - सत्य बहुमत पार्टी की सरकार बनने पर इन युवा मतदाताओं को चुनावों में भाग लेने का अधिकार दे दिया जाएगा, यानि मतदान की आयु और चुनावों में भाग लेने की आयु एक समान हो जाएगी। मेरी इन 18 वर्ष के युवाओं से अपील है कि देश की राजनीति में भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने के लिए अधिक से अधिक संख्या में - सत्य बहुमत पार्टी से जुड़ें और दूसरों को भी जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
युवाओं और आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूं कि हम सबको स्वस्थ व प्रसन्न रखे। धन्यवादः
आपका
सत्यदेव चौधरी
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