Indian railways

Indian railways Indian Railways are one of the oldest institutions in this country. it has survived for more than 15

18/05/2023

अमेरिकी अदालत ने मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले के आरोपियों में से एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दिया है.

16/05/2023

एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का सबसे बड़ा चमत्कार है।
वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी... राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा...
आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल और केवल धर्म एक करता है। कश्मीर से कन्याकुमारी के मध्य हजार संस्कृतियां निवास करती हैं। भाषाएं अलग हैं, परंपराएं अलग हैं, विचार अलग हैं, दृष्टि अलग है, भौगोलिक स्थिति अलग है, परिस्थितियां अलग हैं, फिर भी हम एक राष्ट्र हैं तो केवल और केवल धर्म के कारण! धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उसी धर्म की डोर से सबको बांध रहे हैं।
कुछ लोग उनके चमत्कारी होने को लेकर उनकी आलोचना करते हैं। मैं अपनी कहूँ तो चमत्कारों पर मेरा अविश्वास नहीं। एक महाविपन्न परिवार से निकला व्यक्ति यदि युवा अवस्था में ही देश के सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल हो जाता है, तो इस चमत्कार पर पूरी श्रद्धा है मेरी...
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने समय के मुद्दों पर स्पष्ट बोलते हैं, यह उनकी शक्ति है। नवजागृत हिन्दू चेतना को अपने संतों से जिस बात का असंतोष था कि वे हमारे विषयों पर बोलते क्यों नहीं, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उस असन्तोष को शांत कर रहे हैं। यह कम सुखद नहीं...
कुछ लोग धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को रोकने के दावे कर रहे थे। मैं जानता हूँ, उन्हें ईश्वर रोके तो रोके, अब अन्य कोई नहीं रोक सकेगा... धीरेंद्र समय की मांग हैं। यह समय ही धीरेंद्र शास्त्री का है।
मैं स्पष्ट मानता हूँ कि यह भारत के पुनर्जागरण का कालखंड है, अब हर क्षेत्र से योद्धा नायक निकलेंगे। राजनीति, धर्म, अर्थ, विज्ञान, रक्षा... हर क्षेत्र नव-चन्द्रगुप्तों की आभा से जगमगायेगा। देखते जाइये...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

14/05/2023

Karanataka mein har ki bhi chinta karni chahiye.

13/05/2023

कुछ लोग फिल्म बाॅक्स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़ने के लिए बनाते हैं, कुछ फिल्में बनती हैं अवार्ड जीतने के लिए। एक तीसरे श्रेणी की फिल्म भी होती है। जो निर्देशक-पटकथा लेखक की जिद की वजह से बनती है। कमलेश के. मिश्रा की फिल्म ‘आजमगढ’ इस तीसरे श्रेणी की फिल्म है।

आज जो फिल्में बन रही हैं, उनमें मुस्लिम चरित्रों के आस पास गढ़ी हुई पटकथा वाली अंतिम फिल्म कौन सी थी, इसे याद करते हुए ठीक सा समय लग जाएगा। और ऐसी किस फिल्म ने बाॅक्स आफिस पर 100 करोड़ का जादूई आंकड़ा छुआ था। यह याद करने बैठे तो पसीना आ सकता है।

1960 की 'मुगले आजम' और 1982 में बनी 'निकाह' जैसी फिल्में एक दशक में एक आध ही बन पाती हैं। चन्द्रप्रकाश द्विवेदी की 2014 में बनी फिल्म ‘जेड प्लस’ का नाम भी इस श्रृंखला में आप शामिल कर सकते हैं।

कमलेश की फिल्म आजमगढ़ को आतंकियों का शहर कहे जाने से आहत एक लड़के की कहानी है। जो इस दुख में आतंकी बनता है लेकिन असली कहानी उसके बाद है। मतलब उस होनहार युवक के आतंकी बनने के पीछे छीपी कहानी ही, इस फिल्म की वास्तविक कहानी है। जिसे कमलेश पर्दे पर उतारना चाहते होंगे।

इस फिल्म में सबसे अधिक निराश किया पंकज त्रिपाठी के अभिनय ने। हो सकता है कि कम बजट की फिल्म होने की वजह से फिल्म के निर्देशक उनसे फिल्म में श्रेष्ठ ना निकाल पाएं हों लेकिन वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ के लोकल माफिया कालीन भैया और एक आतंकवादी के बीच कुछ अंतर तो होना चाहिए। एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क वाले बड़े आतंकवादी की भूमिका निभाते हुए वे कालीन भैया के ही Inferior Version दिखाई पड़ रहे थे।

कमलेश के मिश्रा इसलिए साधुवाद के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने कम संसाधनों के बीच शानदार प्रयास किया है।

13/05/2023

Duniya ke jyadatar deshon mein condition dekhtey Hain. 15 ya 10 ka rule absurd hai. Pollution dekho. Gadi fail hoti hai to tagda fine lagao.

09/05/2023

दर्शक जो आज देख कर बाहर निकले तो आंसू थे,उनमें से अधिकतर लड़कियां थीं,उनमें से एक ने कहा,उसके कोचिंग के बाहर कुछ लड़के रोज़ आते हैं,अपनी बहन को पिक अप करने के बहाने और उनमें से कई लड़कों ने उसकी कोचिंग की लड़कियों को फंसा लिया है,उसे भी एक लड़के ने "राहुल" नाम से प्रपोज किया था,लड़की ने समय मांगा था,फिर कोचिंग की ईद की छुट्टी हो गई,पर ईद वाले दिन उसने उसे "किसी का भाई किसी की जान" के टिकट फ्री में बांटते देखा,वो तब अपने असली गेट अप में था,ना हाथ में कलावा था,ना भगवा गमछा,सर पर सफेद टोपी थी और माथे पर काला निशान,आंखों में सुरमा और सफेद कुर्ता पैजामा..नाम था "राशिद",उसका भाई आज उसे फिल्म दिखाने ना आता तो भी उसे सच पता चल गया था,पर फिल्म ने कारण भी बताया और ये भी दिखाया कि अगर वो हां बोल देती तो द केरल स्टोरी जैसा ही कुछ लखनऊ में भी हो जाता,वो कल अपने बर्थडे पर,अपनी सारी सहेलियों को ये फिल्म अपने पैसे पर दिखाने लाएगी,
ये उसकी ओर से सबसे सही "ट्रीट" होगी.!

ये कहानी सिर्फ़ और सिर्फ़ केरल की नहीं..
ये कहानी आपके शहर,आपके मोहल्ले की भी है..
"राहुल" का मुखौटा ओढ़े राशिद हर कोचिंग और स्कूल के बाहर घात लगाए टहल रहे हैं,हेयर ड्रेसर से लेकर मेहंदी लगाने वाले "राज"भी हैं,और यूनीसेक्स जिम के ट्रेनर भी "समीर" ही हैं,फल वाले,जूस वाले "अमन" भी,और पंचर के साथ,
बाइक स्कूटी मकैनिक "समर" भी!

"राहुल","राज","समीर","समर","अमन" जैसे नामों के पीछे छिपे राशिद,साकिब,सैफ,अब्दुल के बारे में अपनी बेटियों,बहनों,भांजियों,भतीजियों,नतिनी,पोती को जागरूक करना है,तो अवश्य इस फिल्म को दिखाएं..

स्मरण रखिए मित्रों,
एक एक बेटी जागरूक होगी
तो एक पूरी पीढ़ी जागरूक होगी..🚩

और याद रखिए, हर राहुल "द्रविड़" नहीं होता
"गांधी" और "ख़ान" भी हो सकता है.!

09/05/2023
09/05/2023

Today is Day 1 of My Life Is Good Challenge. At the request of Ruby Borah ,I am to post photos that bring me joy (no words or explanation) because we could all use a little extra joy in our lives.
Ten days and ten people. If I tag you, please play along. Today, I choose @ Indrani Das Borgohain

07/05/2023

Gazab ki planning. Idhar Bilwal ko Biryani khilai ja raha hai.

06/05/2023

Just back after seeing the Kerala Story. Every one must see it. There is nothing anti Muslim about it.

Achcha kiya yad dila diya. Rip.
06/05/2023

Achcha kiya yad dila diya. Rip.

06/05/2023

एक लड़की के पास Facebook पर, एक लड़के की Friend Request आई पहले तो लड़की सोचती है की रिक्वेस्ट को डिलीट कर दूं पर फिर सोचती है कि एक बार इसकी प्रोफाइल देख लेती हूं। लड़की उस लड़के की प्रोफाइल देखती है जिसमे उसको कुछ भी गलत नही दिखता। प्रोफाइल पर फोटो भी अच्छी लगी थी तो उस लड़की ने सोचा कि "चलो रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लेती हूं, और अगर लड़का बत्तमीज हुआ तो इसको बाद में ब्लॉक कर दूंगी" यही सोच कर उसने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली।

रात को उस लड़के का Inbox में मेसेज आता है। दोनो थोड़ी बातें करते हैं और लड़की को पता चलता है कि वो उसी के शहर में रहता है। दोनो रोज बातें करने लगते है और एक दूसरे को पसंद भी करने लगते हैं।
फिर एक दिन लड़की ने उस लड़के को बताया कि उसके मम्मी, पापा और भाई एक दिन के लिए बाहर जा रहे हैं उसकी Exam है तो वो घर पर ही रह कर पढ़ेगी, तो लड़के ने उसको कहा " वाह, ये तो बहुत अच्छी बात है, मै तुमसे मिलने तुम्हारे घर आ जाता हूं, दोनो मिल कर खूब मस्ती और खूब मजा करेंगे"।
तो लड़की ने उसको कहा: नही, घर पर अकेले में नही, अगर तुमको मिलना है तो हम किसी कॉफी शॉप में मिल सकते हैं।
यह सुन कर लड़का बोला: "तुम भी ना क्या पुराने ज़माने की बातें कर रही हो, आज का जमाना अलग है, आजकल सब चलता है और अकेले मिलने में बुराई ही क्या है?"
तो लड़की बोली: "अगर अकेले मिलने में कोई बुराई नही है, तो तुम अपनी बहन को मेरे भाई के कमरे मे अकेले भेज दो एक दिन के लिए ।"
ये सुनते ही वो लड़का भड़क गया और चिल्लाने लगा: "तेरा दिमाग तो सही है, जुबान संभाल कर बोल जरा"
तो लड़की बोली: "क्यों क्या हुआ तुझे? कहां गई तेरी आधुनिकता? आज का जमाना? सब चलता है? और क्या फर्क पढ़ता है? वाली सोच..
अपनी बहन की बात आई तो तेरी आज की सोच पर ताला लग गया क्या? तू भी पुराने ज़माने में चला गया क्या?
लड़की की बातें सुन कर लड़के के पास कोई जवाब ही नहीं था।
तब लड़की ने आखरी बात बोली.. "जो तुम अपनी बहन के साथ होता नही देख सकते हो, उसको दूसरों की बहन के लिए भी मत सोचो.. बहन तो बहन ही होती है वो चाहे किसी की भी हो, और गलत हमेशा गलत ही रहेगा वो चाहे किसी भी ज़माने में क्यों ना हो"
इतना कह कर उस लड़की ने उस लड़के को हमेशा के लिए ब्लॉक कर दिया.. ऐसा Social मीडिया पर रोज होता है.. क्या हर लड़की इसकी तरह जवाब दे पाती है? या ऐसे लोगों के झांसे में फंस कर अपनी जिंदगी बर्बाद कर बैठती है?

05/05/2023
05/05/2023

दीनदयाल बडा़ पहलवान बना घुमता है , ईसलिये अबकी बार चश्मदीद गवाहों ने आ कर सिधे उसी से कहा, चौधरी साहब जिस बहू को तुम आंगन में उतारने वाले थे, वो तो मथुरा के फौजदार की चोखट पर पहुंच गई।
सुन कर दीनदयाल सन्न रह गया।
पर फिर वही ढाक के तीन पात, कायर वाली जुबान बोल उसने पल्ला झाड़ लिया,
तो अभी कौन सा मेरे छोरे की भांवरे उससे पडी़ थी,और फिर कया छोरियों कि कमी दिख रही यहा पर।
यह सुना दीनदयाल ने अपना पल्ला झाड़ लिया। पर करन के लिए ये आघात सहना असम्भव हो गया, बार बार उसे चंम्पा कि वो निर्दोष मुस्कान याद आ जाती। दिल में हुंक सी उठती।
वह दीनदयाल के पास आ कर बेठ गया।
आप भी सुने हैं चंम्पा को मेले से विधर्मी उठा कर ले गये।
हां सुना तो है । पर तुझे कया हमें ईससे मतलब नही रखना चाहिए, तेरा ब्याह कही और होगा।
वाह भई यह खूब रही मिर्ची तो तब लगती न अगर खुद के टाबर से लड़की उठ जाती या तब भी न लगती। करन भड़क कर बोला।

कया बके जाता है तू आरे अपनी दाढ़ी कि खैर मनावो दूसरो की जलती भटी मे हाथ डालने कि मूर्खता करोगे तो हाथ जला बैठोगे।
पर करनसिंह तो बावला बना बेठा था।गर्म रक्त भला ऐसे केसे चुप रहता।
तो सुनो बापु मैं ब्याह करूगा तो चम्पा से वरना जिंदगी भर कुंवारा रहूंगा।
यह सुन दीनदयाल का शरीर ठंडा पड़ गया बदन में चक्कर से आने लगे, वो वही धम्म से बैठ गया। पुरा बावरा ही हो गया है , अरे मूर्ख जरा सोच वो किसी तरह यहां आ भी गई तो बिरादरी वाले उसे मान लेंगे कया???
किस बिरादरी कि बात कर रहा बापू ईन हिंजड़े लोगो कि बिरादरी की। जिनकी लड़कीया रोज उठ जाती है और ये नपुंसक हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं। थू है ईस बिरादरी पर।
दीनदयाल अनोखी निगाहो से अपने बेटे को देखने लगा, अपनी मंशा फिर साफ साफ बोल।
करनसिंह तेज स्वर में बोला, तो सुन ले बापू ऐक दिन तो कोई जागेगा ही। सोच ले वो दिन आज आ गया है। बिना तड़पे तो मां भी दूध पिलाना भूल जाती है।
दीनदयाल का पहलवानी लहू भी बेटे कि बात सुन जेसे हिलोरें मारने लगा। आखिर वो बोला, मरना मारना कोई बडी़ बात नहीं है पर ऐक बात तो बता, हम चम्पा को छुड़ा लाये तो तू उसे सच्चे दिल से अपना लेगा।
छाती ठोकते हुवे करन बोला मै अपनाऊंगा बापू, मत भूलो वह कोई अपनी मर्जी से न ग ई है, उसे जबरन उठाया गया है। कसूर तो हमारा ही है न जो आज तक गुंगे बने सब देखते रहे,
दीनदयाल फिर दृढ़ता से बोला। ठीक है फिर यदि हम सफल रहे तो मैं शुद्धी कर उसे ही अपनी बहू बनाऊगा चल आ जरा। फिर वह करन को खिच कर बाजार ले गया।
बाजार आ कर दीनदयाल ने पहले एक बडा़ सा टोकरा खरीदा।और टोकरा ले कर मनियारी कि दुकान पहुच गया फिर मनिहारे से उसमे सौ चुडीया डालने को कहा।
मनिहारे ने चुडीया डाल दी और बोला, चौधरी साहब घर में शादी ब्याह लगता है।
हां भाई हां कुछ औरतो को पहनानी है।
करन सिंह भी कुछ न समझ पा रहा था उसका बापू करना कया चाहता है।
बापू ये ईतनी चूड़ियां किसके लिए लिए ली है , वह हैरानी से बोला।
अरे नहीं समझे अपनी बिरादरी वालो के लिए ली है। अब या तो चंम्पा वापस आयेगी या अपनी बिरादरी का हर मर्द चूड़ी पहन कर निकला करेगा।
फिर दोनो बाप बेटा गांव में हर घर के सामने वो टोकरा ले कर घुंमे, उनका संदेश साफ था जुल्म के खिलाफ हमारे साथ हथियार उठावो या फिर ये चूडई़या पहन लो।
दोनो घर घर घुंमने लगे बीस कोस तक ऐसा कोई घर न छूटा जहां बाप बेटा न गये हो।
सभी लोग पीड़ित थे हर तीसरे घर से मलेक्ष लड़की उठा ले गये थे। किसके जख्म हरे न थे। वे तो किसीकी बाट ही निहार रहे थे।
फिर उस गांव कया आसपास के सभी गांव के हिंदू जेसे सोई निंद से जाग गये।
और फिर ठीक ईद वाले दिन हजारों हिंदूवो ने भारी असले जखीरे के साथ सीधा "जय मां भवानी" हर हर महादेव का उदघोष करते हुवे मथुरा पर हमला बोल दिया, ईद के रंग मे डूबे मुगल ऐकाऐक हुवे ईस हमले से संभल न पाये, उन्हे स्वप्न में भी ऐसे किसी हमले कि आशा न थी, वे गाजर मूली कि तरह कटने लगे। बचे खुचे जान बचा कोसी की तरफ भागे।
करन सिंह के सर पर तो खून सवार था, वो न जाने कितने सरो को उड़ा चुका था, अब उसकी निगाहें बस कुली खां को तालाश रही थी। किस्मत का मारा कुली खां उसके सामने पड़ ही गया। कुली खां माहीर लडा़का था ऐसे ही औरंगजेब ने उसे फौजदार नहीं बनाया था, दोनो में विकट युद्ध हुआ, पर करनसिंह के हौसले के आगे वह क्या खा कर टिकता, थोड़ी देर मे ही उसने हार मान कर हाथ खडे़ कर दिये ,करन ने उसकी मुश्के बांध कर ऐक किनारे रख दिया, फिर उसकी हवेली से सभी हिंदू औरतों को निकाला गया, जब चंम्पा सामने आई तो ऐसे लगा,जेसे गर्म लू से कोई मासूम फूल कुम्हला गया हो, करन ने उसे सिने से लगाना चाहा तो वो छिटक कर दूर हो गई, अब मै तुम्हारे लायक न रही। वह रोते हुए बोली।
वहा खड़े सब लोगो ने यह सुन सर झुका लिया। तभी पीछे से दीनदयाल आ कर बोला, हम तेरी शुद्धि करेगे बेटी और तुझे ही अपनी बहू बनायेगे, ये देख तेरे लिए मैं गंगाजल साथ ले कर आया हूं।
जरा ठहरो तुम्हारी शुद्धि मै उससे पहले करूंगा। बापू उसके बाद ही तूम गंगाजल छीड़कना। करन सिंह ने दृढ़ता भरे स्वर में कहा, जावो कोई बाल्टी या नाद तो लावो।
ऐक व्यक्ति मिट्टी कि नाद ले आया।
करन सिंह ने बंधे कुली खान को नाद के पास घसिटा और तलवार से ऐक झटके में उसका सर धड़ से अलग कर दिया।, नाद खून से भर गई, फिर उसने नाद से लोटा भर खून को चंम्पा के ऊपर उड़ेल दिया, चंम्पा को खून से नहला करन बोला, अब चम्पा को जमुनाजी में स्नान करवावो, फीर गंगा जल डाल शुद्धि करवाना।
मथुरा कि हर गली हिंदू से भरी थी, और जै वृंदावन बिहारी से गूंजायमान थी, मुगल सैनिक भाग चुके थे, मुस्लिम चूहे कि तरह दूबक कर भीतर बैठे थे।
जिस चंम्पा को बहू बनाने से भी दीनदयाल कतरा रहे थे, उसी चंम्पा और करनसिंह के वेदना मिश्रित प्रेम ने अन्य नवयुवकों का मन भी झिंझोड़ डाला।, और अन्य बहुत सी युवतियों को अपनाने कई युवक बेहद जोश के साथ आगे आये, उस दिन गंगा के पवित्र जल से शुद्ध हुई और भी लड़कियों का उद्धार हुवा।
दीनदयाल ने हाथ उठा कर भीड़ से कहा, आज ऐक ओर कंस मारा गया है, पर ईसके हिमायती तो दिल्ली में बेठे है, आंधी जल्दी ही लौटेगी, आज से सब भाई सर पर पगड़ी बांध कर निकाला करेगे,ओर ये पगड़ी नहीं हमारा कफन होगा,
इतिहास नहीं बतायेगा पर ईस कांड के बाद हिंदू फिर से मरना मारना सिख गये, उन्होंने संगठित हो कर मुगलो को छठी का दूध याद दिला दिया, ईसके बाद औरंगजेब ने जो सेना भेजी थी, तो तिलपन मे पुरे तीन दिन तक मौत का भंयकर तांडव हुवा था। हजारो मुगल सैनिको को मार काट कर जानवरो के खाने को छोड़ दिया गया, यदि हिदूवो के पास मुगलो कि तरह तोपें होती, तो अंजाम कुछ और ही होता, पर ईन सब का बदला बाद में राजाराम ने लिया,जब उसने आगरा को डंके कि चोट पर लुटा,और सिंकदरा पहुच कर अकबर का मकबरा तक लुट लिया, अकबर के अस्थिपंजर में आग लगा कर खेतो में फेक दिया। जिसे आवारा कुते चबाते हुवे ले गये, , ईसके बाद महराजा सुरजमल ने तो वीरता के शोर्य को सूर्य आकाश में चमका दिया, उन्होंने मुगलों से आगरा छिन लिया और दिल्ली को लूट लिया। ईन वीरो का जिक्र ईतिहास में नहीं मिलता। ईसके उल्ट औरंगजेब और अकबर जैसे आंक्रातावो को महान दर्शाने वाली घटनाओं से इतिहास कि पुस्तकें भरी पड़ी है।

साभार

So much of happiness!
04/05/2023

So much of happiness!

01/05/2023

Mi lord kar saqtey hain

Kya similarity hai
30/04/2023

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E to nitish aur momota sab ko peeche chod diya re
30/04/2023

E to nitish aur momota sab ko peeche chod diya re

हद्द हे पेंच o

29/04/2023

Kuch bhi kar lo bhavishya dhumil hai.

Inko andar Karo. Supreme court swatah sangyan kyun nahi leta.
29/04/2023

Inko andar Karo. Supreme court swatah sangyan kyun nahi leta.

28/04/2023

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