24/09/2023
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शिक्षक व समाजसेवक
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जिस तरह मूसा(अ०स०) की परवरिश ज़ालिम फिरऔन के मह़ल में हुई थी , लगभग उसी तरह उसकी भी परवरिश वह़शी मंगोलों के बीच में हुई थी , तीरंदाज़ी तलवार बाज़ी की महारत भी उसने मंगोलों से ही सीखी थी , वह एक "ग़ुलाम" लेकिन क़पचाक़ तुर्क था,कहते हैं मंगोलों ने दमिश्क के बाज़ार में उसे 500 दीनार के एवज़ में एक समुंदरी ताजिर के हाथ बेचा था , उस व्यापारी ने उसे अपने व्यापारिक जहाज़ पर एक माहिर तीरअंदाज़ के तौर पर तैनात किया था..लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था , एक दिन क़िस्मत ने उसे उस मिस्र का सिपहसालार बना दिया जहां भारत की तरह ही एक ग़ुलाम वंश राज कर रहा था, मंगोलों के ज़ुल्म के आगे पूरी इस्लामी दुनिया बिखर चुकी थी , सलजूक सल्तनत अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी तो ख़िलाफत-अब्बासिया के आखिरी ताजदार मुस्ता'असिम बिल्लाह को हलाकू खान ने क़ालीनों में लपेटकर घोड़ों तले रौंद डाला था..
अल्लाह की क़ुदरत देखिए कि बारहवीं सदी ई० के मध्य में मुसलमानों के पास सिर्फ दो मह़फूज़ पनागाह थी एक हिंदुस्तान और दूसरी मिस्र और दोनों ही जगह ग़ुलाम वंश का राज था यानि ऐसे लोग जिनके ह़स्ब-नस्ब का कुछ पता नहीं बचपन से ग़ुलाम थे, इस्लाम क़बूल किया और अल्लाह ने उन्हें इस्लाम की पासबानी के लिए चुन लिया. अब मौज़ू'अ पर आते है,हलाकू ने बग़दाद को ताराज किया,फिर शाम की सरह़द में दाखिल हुआ गांव के गांव तबाह करता हुआ हलाकू ह़लब पहुंचा और शहर की ईंट से ईंट बजा दी,बग़दाद की तरह ह़लब में भी रोने वाला कोई नहीं था, शाम को तबाह करने के बाद हलाकू की आखिरी मंज़िल मिस्र थी जिसके बाद लगभग पूरी इस्लामी दुनिया ख़त्म हो जाती, हलाकू ने अपने एलची मिस्र दौड़ा दिए जहां ममलूक(ग़ुलामवंश) खानदान राज कर रहा था, वहां उनका सामना उसी सिपहसालार से हुआ जिसको कभी मंगोलों ने ही दमिश्क़ में बेच दिया था...वह कोई और नहीं , सिपहसालार "रूकनुद्दीन बैबरस" था जो ममलूक बादशाह "सैफुद्दीन क़ित्ज़" के मातह़ती में ममलूक फौज की कमान संभाले हुए था...ताक़त के नशे में चूर मंगोल एलचियों ने ममलूक दरबार में हुक्म सुनाया कि मिस्र हथियार डाल दे वरना उसका ह़श्र बग़दाद और ह़लब से भी बद्तर कर दिया जायेगा...दरबारी डरे सहमे हुए मंगोलों का हुक्म सुन रहे थे लेकिन सिपहसालार "बैबरस" के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...वह अचानक उठा और भरे दरबार में ही तमाम मंगोलों के सर काट दिये..."बैबरस" यहीं पर नहीं रूका बल्कि मंगोलों के कटे हुए सर को उसने मिस्र के मुख्य चौराहे पर लटका दिए.कहते हैं इसके पीछे "बैबरस" की हिक्मत थी कि इससे मुसलमानों के दिल में मंगोलों के लिए बैठा हुआ डर ख़त्म हो जायेगा और "बैबरस" की हिक्मत कामयाब भी रही...
"बैबरस" ने उसी वक़्त एक फैसला और लिया...इससे पहले कि हलाकू को खबर लगे कि उसके एलचियों की क्या दुर्दशा हुई है "बैबरस" अपने सुल्तान "सैफुद्दीन क़ित्ज़" के साथ मंगोलों से फैसलाकुन जंग लड़ने के लिए मिस्र से निकल खड़ा हुआ...सन्-1260 ई० रमज़ान का महीना और फिलिस्तीन के क़रीब ऐन-जालूत का वह तारीख़ी मक़ाम जिसका ज़िक्र क़ुरआन में भी मौजूद है...मंगोलों के एक बाज़ू पर "बैबरस" तो दूसरे बाज़ू पर "क़ित्ज़" बिजली बनकर गिरे, देखते ही देखते वह मंगोल जो सारी दुनिया की अक़वाम के लिए दह़शत बनकर उभरे थे,तारीख़ ने देखा कि गाजर मूली की तरह काटे जा रहे थे ,शाम के वह रेगिस्तान जिसे उस वक़्त तक सिर्फ ख़ालिद बिन
वलीद(रज़ि०अ०) की छोटी सी टुकड़ी ही पार कर सकी थी आज यानि 25-रमज़ान को मंगोलों को पनाह देने को तैयार नहीं हुआ...शाम के आम बाशिंदे जिनके पास जो भी हथियार थे ऐन जालूत से भागे हुए मंगोलों का शिकार कर रहे थे और एक नई तारीख़ रक़म हो रही थी...मंगोल साम्राज्य के पतन की तारीख़ वह भी किसी अरबी सलजूकी या अब्बासी के हाथों नहीं , मामूली ग़ुलामों के हाथों से जिनका कोई ह़सब-नस़ब नहीं था...मेरा रब ऐसा ही है...वह ह़सब नस़ब और वस़ाएल का मोह़ताज नहीं..!!
आज सुल्तान बेबरस की यौम ए पैदाइश है 💐
On the 39th anniversary of , we remember the innocent lives lost in Darbar Sahib. Let’s never forget 1984.
72 Hoorain फ़िल्म सिर्फ मुसलमानो को
बदनाम करने के लिए बनाई गई है, अगर इन्हें सच में
72 Hoorain के सच्चाई का पता होती तो, अल्हमदुल्लाह ये लोग अब तक इस्लाम क़ुबूल कर चुके होते।
ना इन्हें जिहाद के माएने पता है,
ना इन्हें इस्लाम के बारे कुछ पता है,
ना इन्हें क़ुरान के बारे में कुछ पता है।
मगर ये कुफ़्फ़ार और मुशरिक़ लोग सिर्फ़ इस्लाम और मुसलमान को बदनाम करके मशहूर होना चाहते है, बाक़ी कुछ नहीं।
कश्मीर फाइल्स, द केरला स्टोरी और अब 72 हूरे
नाम की ये फ़िल्म मुसलमानो के खिलाफ बनाई गई है, जिनका सच्चाई से कोई लेना देना नही है,
अगर बनाना ही है कुछ तो सच्चाई पर बनाओ बहुत से स्क्रिप्ट मेरे पास है आओ कभी हवेली पर मैं देता हूँ आपको एक अच्छी और सच्ची घटना।
आइये क्रोनोलॉजी समझते हैं।
पहलवानों ने पहले जमातियों को गाली दी,
फिर सब मुसलमानों को टारगेट किया,
फिर मालिक को ख़ुश करने की ख़ातिर शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं को अनाप शनाप कहा............... कुछ दिन बाद....
ऊपर वाले ने उन्हें भी मज़बूर कर दिया धरने पर बैठने के लिए, कल तक वो जब गाली देती थीं तो जो लोग वाहवाही किया करते थे न.. आज वो सब ही इन्हें गाली दे रहे हैं और जिन्हें छोड़कर आगे बढ़ना चाहती थीं, जिन्हें गाली देती थीं वो साथ खड़े हैं।
फिर ये पुलिस कार्यवाही का समर्थन करती थीं... आज ख़ुद परेशान की जा रही हैं। अब तो कई उनके अपने भी उनके साथ नहीं खड़े हो रहे हैं... इसलिए किसी के बल पर या किसी को ख़ुश करने के लिये कुछ ऐसा न कर जाइये जिसकी सज़ा भारी पड़े।
इन्हें तो इनकी सज़ा मिल गयी है, अब जो इन्हें परेशान कर रहे हैं वो भी सज़ा के लिए तैयार रहें।
अस्ल धर्मचक्र और कुछ नहीं कर्मचक्र ही है। तमाम लोगों को उनके कर्मों का फल इसी मिट्टी पर भोग कर जाना होता है... हम, आप सब के सब यहीं हैं।
इसलिए जो ग़लत है उस पर बोलिये लेकिन बिना वजह ही किसी से नफ़रत मत कीजिये। और हाँ राजनीतिक ,वैचारिक असमानता होना कोई ग़लत बात नहीं है ये आम बात है। होना चाहिए। किसी पर अपनी विचारधारा न थोपिये।
मैं पहलवानों के इस संघर्ष में उनका समर्थन करता हूँ, मैं चाहता हूँ कि निष्पक्ष जाँच हो और दोनों पक्षों में जो दोषी साबित हो वो जेल जाये।
भगवा प्रेमजाल की शिकार हुई मुस्लिम लड़कियों की पहले संख्या 10 लाख थी लेकिन अब आंकड़े चौंकाने वाले हैं, आरएसएस सूत्र की माने तो यह आंकड़ा 40 लाख को पार कर गया है |
(1) ज्यादातर मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज या स्कूल से ही निशाना बनाया जाता है |
(2) सोशल मीडिया के मध्यम से |
(3) दोस्तों के संपर्क से |
उपाय
(1) अपनी बच्चियों को मुस्लिम स्कूल या कॉलेज ( हार्डकोर ) में ऐडमिशन दिलवाए जहां हिंदू को इजाजत नहीं हो |
(2) मोबाइल का अधिक उपयोग न करने दें |
(3) अपनी इस्लामिक हिस्ट्री से और भगवा लव ट्रैप से आगाह करें |
(4) बालिग होने पर जल्द ाज़ जल्द शादी कर दें|
Shuruwat ho gyi hai 😂
लोकेशन - पूर्णिया (बिहार)
कुंदन (हुनूद) ने बताया कि उसने पहले शायरा को फोन कर बुलाया और गला दबाकर हत्या कर दी, मर्डर के बाद कैंची से कई वार किए, ताकि शव की पहचान ना हो पाए, फिर शव को मक्के के खेत मैं ठिकाने लगा दिया।
यशपाल अपनी बेटी की शादी मुस्लिम लड़के से करना चाहता था लेकिन ट्रोलिंग और सोशल मीडिया पर कार्ड वायरल होने की वजह से ऐसा नही कर पाया
संघ के कई बड़े नेताओं के काल आए उसको समझाया जिसके बाद उसने शादी नही करने का भरोसा दिया
इस घटना के बाद बहुत खुश हुआ
Ek film "The RSS story" ( based on true events) name ki film bhi Banna chahiye.
और फिर गुजरात दंगाई हत्यारों के समर्थन में लगे "जय श्री राम" के नारे,
2002 में नरोडा गाम में 11 मुसलमानों को जिंदा जलाने के मामले में अहमदाबाद की अदालत ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत सभी 69 आरोपियों को बरी कर दिया,
जैसे बाबरी मस्जिद खुद गिरी वैसे ही वो मुसलमान खुद मर गए।
Sab yad rkha jaayega
हत्या करने पर “जय श्रीराम”
महिलाओं और बच्चियों से बलात्कार करने पर “जय श्रीराम”
दंगा करने के दौरान “जय श्रीराम”
चुनाव जीतने के लिए “जय श्रीराम”
भारत में आजकल ये नारा आतंकियो का पसंदीदा नारा बन गया है।
Presidential candidate of Nagar palika Shahabad.
Take your lesson from here, not from N**i supremacist ideology.
LPG Gas की क़ीमत 70 साल में ₹400 तक पहुंची थी, वो अब ₹1000 में मिल रही है।
तो मित्रों बताओ, जो 70 साल में नहीं हुआ वो Modi ने 7 साल में किया कि नहीं किया?
सुखद खबर 😃
घरेलू सिलेंडर के दाम में पूरे 50 रुपए का विकास, जनता में खुशी की लहर.
Ramzan Mubarak
Hundreds of salutes and humble tributes to the great social reformer, educationist and founder of Aligarh Muslim University Sir Syed Ahmed Khan ji on his death anniversary.
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लोकेशन - पूर्णिया (बिहार) #BhagwaLoveTrap कुंदन (हुनूद) ने बताया कि उसने पहले शायरा को फोन कर बुलाया और गला दबाकर हत्या कर दी, मर्डर के बाद कैंची से कई वार किए, ताकि शव की पहचान ना हो पाए, फिर शव को मक्के के खेत मैं ठिकाने लगा दिया।
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