Aman Baba Samajik Kranti Morcha

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इस अंतर को ये बच्चे नहीं समझ सकेंगे। बच्चों के माँ-बाप या रिश्तेदार भी नहीं जान सकेंगे। धार्मिक लोग इसे धर्म कहेंगे, साम...
17/04/2022

इस अंतर को ये बच्चे नहीं समझ सकेंगे। बच्चों के माँ-बाप या रिश्तेदार भी नहीं जान सकेंगे। धार्मिक लोग इसे धर्म कहेंगे, सामाजिक लोग इसे कर्म कहेंगे और व्यवस्थापक इसे जन्म कहेंगे। यह जो भी है लेकिन मानव निर्मित है। सत्य है कि वर्ग संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा लेकिन इतनी उम्मीद तो जरूर रहे कि कोई पीढ़ी में कभी तो बदलाव हो?

इस अंतर को समझने के लिए जरूरी नहीं इनके बीच में जन्म लेना पड़े या इनके जैसा जीवन यापन करना पड़े। बस आप अपने जीवन में एक ऐसा विचार धारण कीजिए जिसमें इन चारों के बीच एकता, समता व बन्धुता का भाव प्रकट हो सके, समझ लीजिए हम भारत के नवनिर्माण में आगे बढ़ रहे हैं अन्यथा कोसने, बोलने या नकारने के कारण हजार उपलब्ध हैं।

Aman baba

इस अंतर को ये बच्चे नहीं समझ सकेंगे। बच्चों के माँ-बाप या रिश्तेदार भी नहीं जान सकेंगे। धार्मिक लोग इसे धर्म कहेंगे, साम...
17/04/2022

इस अंतर को ये बच्चे नहीं समझ सकेंगे। बच्चों के माँ-बाप या रिश्तेदार भी नहीं जान सकेंगे। धार्मिक लोग इसे धर्म कहेंगे, सामाजिक लोग इसे कर्म कहेंगे और व्यवस्थापक इसे जन्म कहेंगे। यह जो भी है लेकिन मानव निर्मित है। सत्य है कि वर्ग संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा लेकिन इतनी उम्मीद तो जरूर रहे कि कोई पीढ़ी में कभी तो बदलाव हो?

इस अंतर को समझने के लिए जरूरी नहीं इनके बीच में जन्म लेना पड़े या इनके जैसा जीवन यापन करना पड़े। बस आप अपने जीवन में एक ऐसा विचार धारण कीजिए जिसमें इन चारों के बीच एकता, समता व बन्धुता का भाव प्रकट हो सके, समझ लीजिए हम भारत के नवनिर्माण में आगे बढ़ रहे हैं अन्यथा कोसने, बोलने या नकारने के कारण हजार उपलब्ध हैंl

Aman baba

हमारे पूर्वजों के अंदर ईश्वर के प्रति आस्था में कभी कोई कमी नहीं थी, नाक रगड़कर, सिर नवांकर, पूरे विश्वास से वे भक्ति में...
15/04/2022

हमारे पूर्वजों के अंदर ईश्वर के प्रति आस्था में कभी कोई कमी नहीं थी, नाक रगड़कर, सिर नवांकर, पूरे विश्वास से वे भक्ति में लीन रहे। बावजूद इसके उनका वजूद केवल शुद्र कहलाने तक सीमित नहीं था बल्कि जीवन भर बहिष्कृत, तिरस्कृत, अपमानित, प्रताड़ित और मुख्यधारा से वंचित रहे। उनकी मुक्ति के जो मार्ग (शिक्षा) थे, वे हर प्रकार से पूर्ण प्रतिबंधित थे।

अवरुद्ध मार्ग को खोलने वाला व्यक्ति स्वयं में एक मसीहा समान होता है यह केवल वही समझ सकता है जो उन अवरोधकों से गुजरा हो। जिस प्रकार एक मरीज़ जानता है कि मुझे किस दवाई से लाभ मिलता है उसी प्रकार उपेक्षित, पीड़ित या वंचित व्यक्ति जानता है कि मेरी उक्त समस्या का पूर्ण समाधान किस विचार अथवा व्यक्ति के पास उपलब्ध है।

आज सदियों के इस तिरस्कार के बदले यदि कोई वर्ग किसी धर्म और ईश्वर को दोषी ठहरा रहा है तो समझ लीजिए कि मामला बहुत हल्के में सैटल हो रहा है क्योंकि वह बहिष्कृत लोग जब जागरूक होंगे तो अपना इतिहास जरूर खंगालेंगे और तब यदि ईश्वर को दोषी न ठहराकर, मुख्य गुनहगारों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे तो यह लड़ाई कभी नहीं रुकने वाली।

बाबा साहेब डॉ अंबेडकर वंचित तबके लिए एक मसीहा समान है क्योंकि उनके पास केवल समाधान या सहानुभूति नहीं बल्कि अनुभूति भी है। जरूरत है उस मसीहा को पढ़ने की, न कि पूजने की। जिस व्यवस्था के प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष शोषण, दमन, उपेक्षा इत्यादि से मुकाबला करना है उसकी ताकत आत्मीय सम्बन्धों में ही निहित है इसलिए शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।

शिक्षा वह हथियार है जिससे हर बेड़ियों को तोड़ा जा सकता है। बुद्ध से लेकर कबीर तक और फुले से लेकर अम्बेडकर तक तमाम महापुरुष...
12/04/2022

शिक्षा वह हथियार है जिससे हर बेड़ियों को तोड़ा जा सकता है। बुद्ध से लेकर कबीर तक और फुले से लेकर अम्बेडकर तक तमाम महापुरुषों ने शिक्षा के महत्व को विस्तृत रूप से समझाया है। ज्योतिबाफुले ने महिलाओं और शूद्रों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलकर एक नई क्रांति का आगाज़ किया जिससे आधुनिक भारत का निर्माण हो सका।

ज्योतिबा ने लिखा था, "विद्या बिना मति गई , मति बिना नीति गई। नीति बिना गति गई , गति बिना वित्त गया। वित्त बिना शूद्र हुआ, बिना विद्या के इतने अनर्थ।" शिक्षा के अभाव से ही शुद्र बुद्धिहीन, उद्देश्यहीन और सम्पत्ति विहीन रहे इसलिए शुद्र सदा शुद्र रहे। जब वे शिक्षा की महत्ता को समझेंगे, अवश्य ही क्रांति होगी। ज्योतिबा फुले की जयंती पर उनको शत शत नमन।

दुनिया भर में डंका बज रहा है हमारे देश की महंगाई का।
10/04/2022

दुनिया भर में डंका बज रहा है हमारे देश की महंगाई का।

हिज़ाब के बाद लाउड स्पीकर विषय आजकल विवादों में है। मैंने हिज़ाब, नक़ाब, बुर्का, ओढ़नी, पर्दा, घूंघट इत्यादि सभी विषयों पर अ...
09/04/2022

हिज़ाब के बाद लाउड स्पीकर विषय आजकल विवादों में है। मैंने हिज़ाब, नक़ाब, बुर्का, ओढ़नी, पर्दा, घूंघट इत्यादि सभी विषयों पर असंख्य बार लिखा है कि धार्मिक स्वतंत्रता का पूरा सम्मान है लेकिन शिक्षा में धर्म का दखल कतई उचित नहीं है वह चाहे हिजाब, नक़ाब इत्यादि हो याफिर गीता, कुरान का पठन, पाठन हो।

धार्मिक स्वतंत्रता,सामाजिक स्वतंत्रता या महिला स्वतंत्रता तब समझ आती है जब कोई महिला हिज़ाब, घूंघट के अलावा बाक़ी वस्त्र जैसे कभी साड़ी, कभी सूट, कभी जिंस सुविधानुसार जो चाहे पहन सकती हो लेकिन आजीवन कोई बुर्का पहने रखे या घूंघट ओढ़े रखे उसे स्वतंत्रता नहीं गुलामी कहते हैं सदियों से इसे खिलाफ लड़ाई जारी रही।

हालांकि यह भी सत्य है कि हम मुस्लिम महिलाओं के हिज़ाब को आसानी से निशाना बना लेते हैं लेकिन सिखों की पगड़ी या अन्यों के प्रतीकों पर कोई अमल नहीं कर पाते क्योंकि हमारा विरोध भी ऑटो सेलेक्टिव या धारा में बहते विचारों से निर्धारित होते हैं लेकिन मेरा विचार यहां सभी से भिन्न है कि स्कूल का अपना एक कोड हो और सभी के लिए एकसमान हो।

यह कोड निर्धारण की आज़ादी स्कूल को नहीं देनी होगी अन्यथा वे कल बिकनी ही अनिवार्य कर सकते हैं इसलिए ड्रेसकोड सरकार तय करे लेकिन उचित, न्यायिक और पूरे देश मे एक समान। उसके अलावा दूसरा कुछ न थोपा जाय। और कुछ लोग पर्दे, हिजाब,बुर्का इत्यादि की बात पर कहते हैं कि हम तो अपनी महिलाओं को पर्दे में रखेंगे आपको नंगा रखने शौक है तो बेशक रखिये।

उनको मेरी यही सलाह है कि ऐसे कुतर्कों से बाहर निकलना ही होगा अन्यथा खुद ही खुद को अपमानित करेंगे। साड़ी, सूट,जीन्स, लहंगा, इत्यादि कोई भी पहनावा नंगापन नहीं होता है। बाकी मैं केवल स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों इत्यादि में धार्मिक पहनावे को कतई उचित नहीं मानता, इसके मैँ सदा पुरजोर खिलाफ रहा हूँ।

बात करते हैं लाउड स्पीकर की तो इन्हें कब का बन्द हो जाना चाहिए था मगर समस्या यह है इस विषय को मुसलमान के खिलाफ बनाकर तैयार किया गया है। लाउड स्पीकर हर मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, गली, मोहल्ले सब जगहों से उतार देने चाहिए। जागरण हो या कीर्तन, नाटक हो मंचन सब चार दिवारी के अंदर सीमित आवाज़ में हो।

मेरी बात न किसी धर्म के ख़िलाफ़ है और न सविधान के। मेरी बात बेहतर भारत और समान भारत के नजरिए हेतु है। अपना निजी पक्ष छोड़कर यह विचार कीजिए कि जब धर्म बने तब क्या लाउडस्पीकर थे? कल लाउडस्पीकर नहीं होंगे तब क्या धार्मिक प्रक्रिया वाधित होगी? यदि नहीं तो ऐसे असंख्य मामलों में सोच को आगे रखकर चलें कभी दिक्कत नहीं होंगीl

विकिपीडिया पर दर्ज है कि रिजर्व बैंक की स्थापना डॉ अम्बेडकर की थीसिस "प्रॉब्लम ऑफ दी रूपी" के सिद्धांतों पर आधारित है ले...
02/04/2022

विकिपीडिया पर दर्ज है कि रिजर्व बैंक की स्थापना डॉ अम्बेडकर की थीसिस "प्रॉब्लम ऑफ दी रूपी" के सिद्धांतों पर आधारित है लेकिन विकिपीडिया कोई सटीक प्रमाण नहीं हो सकता है। प्रमाण है रिज़र्व बैंक की स्थापना के लिए गए प्रयत्न व उसके विचार का आधार। जो डॉ इतिहास में दशकों पहले से दर्ज है। पूर्व की पोस्ट में कई कमीशन, कई एक्ट के विषय में बता चुका हूं।

नहीं मालूम कि खुद आरबीआई ही कुछ वर्ष पूर्व तक डॉक्टर योगदान से अनजान था या सच स्वीकारने में असहज था लेकिन 6 दिसम्बर 2015 को डॉ अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्य पर प्रधानमंत्री मोदीजी ने जब रिजर्व बैंक के ऐतिहासिक संदर्भ में डॉ अम्बेडकर का जिक्र किया और उनपर सिक्के जारी किये तब से रिजर्व बैंक इस बात को तवज्जो देने लग गया ऐसे कैसे?

पूर्वी एशियाई देशों में भारत ऐसा पहला राष्ट्र था, जिसने कर्मचारियों की भलाई के लिए बीमा अधिनियम बनाया था। ‘महंगाई भत्ता’ (डीए), ‘अवकाश लाभ’, ‘वेतनमान का पुनरीक्षण’ जैसे प्रावधान डॉ. आंबेडकर के कारण ही हैं। उनके योगदान तथा कार्ययोजना पर फिर विमर्श करूँगा लेकिन भ्रष्टाचार, कालाधन जैसे अपराधों को रोकने हेतु करेंसी को हर दस वर्षों में नया लुक देने जैसे विचार भी था डॉक्टर अम्बेडकर का। आज आरबीआई का स्थापना दिवस है। डॉ अंबेडकर को याद किये बगैर यह दिन पूर्ण नहीं हो सकता है।

Aman baba

""फिल्मों में छुट, किताबों में लूट🤔""अब किताबों के कलेक्शन के बदले चैप्टरवाइज फिल्मों का कलेक्शन रखना शुरू कर दीजिए।किता...
29/03/2022

""फिल्मों में छुट, किताबों में लूट🤔""

अब किताबों के कलेक्शन के बदले चैप्टरवाइज फिल्मों का कलेक्शन रखना शुरू कर दीजिए।

किताब 15 और काफी 25फीसदी तक हुईं महंगी पिछले वर्ष के मुताबिक इस बार।

बहुत अधिक समाज सेवा करना,आपका ईमानदार होना और आपकी पहचान होना,बहुतों को तकलीफ देता हैं,👍👍😢मैंने आजतक अपने जीवन में कोई ग...
27/03/2022

बहुत अधिक समाज सेवा करना,आपका ईमानदार होना और आपकी पहचान होना,
बहुतों को तकलीफ देता हैं,👍👍😢
मैंने आजतक अपने जीवन में कोई गलत काम नही किया लोग फिर भी मेरे से इतना द्वेष भाव क्यों रखते हैं समझ नही आ रहा ,
किसी भी परोग्राम में शामिल होते हैं तो वहाँ बाकी सब कहते हैं इसको क्यों बुलाया,कहीं मंच पर बोलने का जब नम्बर आता है तभी सबके जवाब यहीं होते हैं कि अमन बाबा से पहले हमें बोलने देना,
इसका नम्बर बिल्कुल बाद में लगाना में ये नही समझ पाया हूं आजतक समाज में आप लोगों को सबसे बड़ा रोड़ा क्यो दिखाई देता हूँ !!
रात 9 बजे के बाद लोग दारू पीकर फोन करके हर रोज जान से मारने की धमकियाँ देते हैं ,गालियाँ देते हैं आखिर में समाज से ही ये पुछना चाहता हुँ कोई मेरी 1 गलती बता सकता है जिसके कारण आप मेरे से इतना भेदभाव करते हों ,,🙏🏻
जिसको फेमस होना है वो हमें गालियां देता है,जिसने आजतक समाज लिए कोई कार्य नही किया वो सोशल मीडिया पर हमें अनाप सनाब बोलते हैं ,😪
आखिरी मेरा भी परिवार है,मैं भी इस समाज का हिस्सा हूँ,मैं भी इस समाज मे रहने का हकदार होंगे अगर कोई भी समझदार साथी यह पोस्ट पढ़े तो मेरी यही विनती है कम से कम मेरी अच्छाई नही मेरी गलतियां मुझे गिनवाना ताकि मैं उनको सुधार सकू !!

कोई गलती तो बताए कमेंट में अमन बाबा तो वो भी सुधारने को तैयार है!!👍👍🙏🏻

प्रथम चरण आंदोलन,,,,आज दिनांक 22/03/2022 को  #राष्ट्रीय_पिछड़ा_वर्ग मोर्चा के बैनर तले  जिला आगरा में  # के नेतृत्व में ,...
23/03/2022

प्रथम चरण आंदोलन,,,,
आज दिनांक 22/03/2022 को #राष्ट्रीय_पिछड़ा_वर्ग मोर्चा के बैनर तले जिला आगरा में
# के नेतृत्व में ,,OBC की जाति आधारित गिनती और 3 किसान काले क़ानून , के विरोध में,EVM के विरोध में,राजस्थान में जितेंद्र मेघवाल की हत्या हुई उसके न्याय की माँग उठाई,,इस तरह 11 मुद्दों को लेकर के 563 जिलों में ज्ञापन दिया गया!!!

अंग्रेजों से लोहा लेकर, डटकर की लड़ाई थी निज धरती, अभिमान, शान, सम्मान की जोत जलाई थी मातृभूमि की आन की खातिर, लड़ी अवंत...
22/03/2022

अंग्रेजों से लोहा लेकर, डटकर की लड़ाई थी
निज धरती, अभिमान, शान, सम्मान की जोत जलाई थी
मातृभूमि की आन की खातिर, लड़ी अवंति बाई थी

1857 की महानायिका वीरांगना महारानी अवंति बाई लोधी जी के जयंती पर उनके चरणों में शत शत नमन। #अवन्ती बाई लोधी

मान्यवर कांशीराम एक ऐसा नाम जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की सिफारिश पर भी राष्टपति पद ठुकरा द...
18/03/2022

मान्यवर कांशीराम एक ऐसा नाम जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की सिफारिश पर भी राष्टपति पद ठुकरा दिया था। रोपड़ से बीएससी करने के बाद डीआरडीओ में अधिकारी बने थे लेकिन अपने विभाग में एक चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी दिनाभाना द्वारा विभाग को अम्बेडकर जयंती के लिए भेजा गया छुट्टी का प्रस्ताव स्वीकार न करना और उस मामूली से कर्मचारी द्वारा खड़ा किया गया आंदोलन भारतीय राजनीति में कांशीराम जी को जन्म दे गया।

मान्यवर कांशीराम जी को बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर जी के विषय में पढ़ने के लिए उन्ही दिनों अवसर मिला। फिर क्या था अपनी मलाईदार नौकरी छोड़कर पंजाब, हरियाणा होकर महाराष्ट्र तक सफर किया मगर वह सफलता नहीं मिली जो उम्मीद की थी। उसके बाद यूपी के आये। वहां साईकिल से गांव गांव गए पहले डीएस 4 संगठन फिर बामसेफ संगठन बनाया और अंत में बीएसपी की स्थापना की। फिर तो देश को तीसरी सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष बन गए।

मान्यवर कांशीराम जी का सपना राजनीति करना नहीं बल्कि समाजिक ढांचे को बदलना था। उनके आने के बाद बहुत बड़ा बदलाव भी हुआ। यूपी जैसे राज्यों में अपराध पर यदि किसी कार्यकाल में लगाम लगी और दलितों का सबसे अधिक उत्थान हुआ तो वह बीएसपी का कार्यकाल था। यह सत्य है कि हर चीज का अपना एक समय होता है और कांशीराम जी के जाने के साथ ही वह मिशन भी लगभग स्थिर हो गया। जिस तेजी से या जिन इरादों से संघर्ष खड़े किए गए उसके बाद उन्हें वह गति न मिल सकी।

उनका मानना था कि राजनीति चले न चले, सरकार बने न बने, समाजिक परिवर्तन की गति किसी भी कीमत पर रुकनी नहीं चाहिए। उनके इस विश्वास में कितनी सच्चाई थी व समर्पण था इसी बात से अंदाजा लगाइये कि उन्होंने राष्ट्रपति के पद को भी अस्वीकार कर दिया तथा मुख्यमंत्री बनने का अवसर था उसे भी त्याग दिया। मान्यवर कांशीराम जी दो बार सांसद भी रहे मगर उनके पास अपना कुछ नहीं था। उन्होंने कई पत्रिकाएं तथा कई किताबें भी लिखी जिसमें से "चमचा युग" अंग्रेजी में बहुत प्रसिद्ध रही।

उन्होंने कहा था कि किसी रोज अपने महापुरुषों की जीवनी पढ़ लेना या जीवन संघर्ष समझ लेना यदि आपको रातभर नींद न आये तो समझ लेना आप समाज व देश के लिए कुछ बड़ा कर सकते हैं और यदि आपको कोई फर्क न पड़े तो उस किताब को फेंक देना और अपना काम करते रहना। भारत में बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर को फिर से जिंदा करने वाले और सीमित साधन, संसाधनों में उनके योगदान को जन जन तक पहुंचाने वाले बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम जी के जन्मदिन पर उन्हें कोटि कोटि नमन

हम दुनिया में आये ये हमारे माँ-बाप की देन हैमगर आज हम जो असल जिंदगी जी रहे है वो सिर्फ और सिर्फ  हमारे महापुरुषों की देन...
15/03/2022

हम दुनिया में आये ये हमारे माँ-बाप की देन है
मगर आज हम जो असल जिंदगी जी रहे है वो सिर्फ और सिर्फ हमारे महापुरुषों की देन है

#जयभीम

#जयभारत

#जयसंविधान



बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर कहते थे मैँ किसी भी समाज की तरक्की उस समाज की महिलाओं द्वारा हासिल की गई उपलब्धि से आंकता हूँ। मु...
09/03/2022

बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर कहते थे मैँ किसी भी समाज की तरक्की उस समाज की महिलाओं द्वारा हासिल की गई उपलब्धि से आंकता हूँ। मुंबई में एकबार महिला सभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि नारी राष्ट्र निर्मात्री है। नागरिक उसकी गोद मे पलकर ही बढ़ा होता है। नारी को जागृत किये बिना राष्ट्र का विकास सम्भव नहीं है। आधुनिक भारत में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने ही सर्वप्रथम सबसे बड़ी भूमिका भी निभाई।

1913 में न्यूयार्क में दिया गया बाबा अम्बेडकर द्वारा एक भाषण में उन्होंने कहा था कि ‘मां–बाप बच्चों को जन्म देते हैं, कर्म नहीं देते। मां बच्चों के जीवन को उचित मोड़ दे सकती हैं। यह बात अपने मन पर अंकित कर यदि हम लोग अपने लड़कों के साथ अपनी लड़कियों को भी शिक्षित करें तो हमारे समाज की उन्नति और तेज़ होगी।’ यानी यह विचार तब के हैं जब स्त्री शिक्षा को समाज में धर्म के विरुद्ध कृत्य समझा जाता था।

18 जुलाई 1927 को करीब तीन हजार महिलाओं की एक संगोष्ठि में बाबा साहब ने कहा ने कहा था ‘आप अपने बच्चों को स्कूल भेजिए। शिक्षा महिलाओं के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितना की पुरूषों के लिए। यदि आपको लिखना–पढ़ना आता है, तो समाज में आपका उद्धार संभव है। एक पिता का सबसे पहला काम अपने घर में स्त्रियों को शिक्षा से वंचित न रखने के संबंध में होना चाहिए। शादी के बाद महिलाएं खुद को गुलाम की तरह महसूस करती हैं, इसका सबसे बड़ा कारण निरक्षरता है। यदि स्त्रियां भी शिक्षित हो जाएं तो उन्हें ये कभी महसूस नहीं होगा।’

बाबा साहब ने अमेरिका में पढ़ाई के दौरान अपने पिता के एक करीबी दोस्त को पत्र में लिखा था, उन्होंने लिखा ‘बहुत जल्द भारत प्रगति की दिशा स्वंय तय करेगा, लेकिन इस चुनौती को पूरा करने से पहले हमें भारतीय स्त्रियों की शिक्षा की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने होंगे।’ बाबा साहब का ये कथन पूरी तरह सच साबित हुआ। आज भारत की लड़कियां शिक्षित होकर हवाई जहाज तक उड़ा रही हैं। आज जो कुछ भी महिलाएं कर पा रहे हैं उसकी बुनियाद में वे कानून हैं जो हमारे लिए उनके द्वारा बनाये गए।

यानि समानता के विचार किसी व्यक्ति जेहन में पलने लगे तो हर बेड़ियां टूट सकती है। बचपन से ही पितृसत्तात्मक विचारों तले जीवन यापन करने वाले समाज के लिए महिला अधिकार और महिला स्वतंत्रत विचार एक षड्यंत्र, फरेब, धार्मिक मान्यताओं, पुरुषों अथवा समाज इत्यादि के विरुद्ध शिक्षा लगती है। तमाम उक्तियों की आज भी प्रासंगिकता है क्योंकि समाज में आज भी गैरबराबरी और पुरुष वर्चस्ववादी विचातधारा विधमान है।

डा. अंबेडकर का दृढ. विश्वास था कि महिलाओं की उन्नति तभी संभव होगी जब उन्हें घर परिवार और समाज में सामाजिक बराबरी का दर्जा मिलेगा। हर महापुरुष व समानता समर्थक का यह विचार है। आज महिलाएं हर दिशा में तरक्की कर रही है। उन्हें समान अवसर भी मिल रहे हैं मगर यह भी सत्य है कि उनका समान प्रतिनिधित्व, समानता अभी उस हदतक हासिल नहीं हो सकी जिसकी आवश्यकता है। उसके लिए जो भी प्रतिबद्धता के साथ खड़ा है उन सभी नर-नारी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की ढेरों बधाई।

अरुणा सिंह उर्फ अमन बाबा

1 मार्च 1943 चमार रेजिमेंट स्थापना दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई ।।सलाम उन शूरवीरों को जिनके बलिदान से देश आज भ...
04/03/2022

1 मार्च 1943 चमार रेजिमेंट स्थापना दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई ।।
सलाम उन शूरवीरों को जिनके बलिदान से देश आज भी ऋणी है।।
🙏🙏🙏🙏

सब परिंदे उड़ गए हैं, धीरे धीरे छोड़ कर 😭😭बागबां अब अकेला हैं, उम्र के इस मोड़ पर !!😭😭ऐसे किसी भी गरीब का अगर आपको पता लगता...
04/03/2022

सब परिंदे उड़ गए हैं, धीरे धीरे छोड़ कर 😭😭
बागबां अब अकेला हैं, उम्र के इस मोड़ पर !!

😭😭
ऐसे किसी भी गरीब का अगर आपको पता लगता है हमारे वट्सप पर 906855 1 557 उनका फ़ोटो और अड्रेस भेजें टीम अमन हर हाल में मदद करने की कोसिस करेगी।

युवा समाजसेवी
अरुण सिंह और अमन बाबा

अगर 1947 में टीवी होता तो अपना देश कभी आजाद नहीं होता.... क्योकि अंग्रेज भारतीय मीडिया को खरीद लेते.....और भारतीय मीडिया...
03/03/2022

अगर 1947 में टीवी होता तो अपना देश कभी आजाद नहीं होता.... क्योकि अंग्रेज भारतीय मीडिया को खरीद लेते.....और भारतीय मीडिया हमें देश की गुलामी के फायदे गिनवाती

टीवी पर दिखाया सभ सच नही होता ,,,,

मैंने सोशल मीडिया में खबरें तैरती देखी कि तिरंगा लगी गाड़ियों को यूक्रेन में कहीं नहीं रोका गया और भारतीयों को सुरक्षित ल...
02/03/2022

मैंने सोशल मीडिया में खबरें तैरती देखी कि तिरंगा लगी गाड़ियों को यूक्रेन में कहीं नहीं रोका गया और भारतीयों को सुरक्षित लाया गया। कहीं सकारात्मक, कहीं नकारात्मक सब खबरें देखी। यानि जबतक वास्तविक खबरें आपतक पहुंचती तबतक झूठ का पूरा माहौल बनाया जा चुका था। अब सबके जेहन में वही फर्स्ट इम्प्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन वाली कहावत यथार्थ हो चुकी होगी? यानि मोदी है तो मुमकिन है बशर्ते उधर से ढेला तक प्रयास न हुआ हो।

ऐसा नहीं कि रूस-यूक्रेन या कोई भी देश किसी दूसरे देश को जानबूझकर नुकसान पहुंचाएंगे। नाटो, यूएनओ, विदेश नीतियों आदि की वजह से भी कोई देश, किसी भी दूसरे देश के नागरिकों को युद्ध के समय कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। इस वक्त सभी देशों ने रूस-यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित अपने देशों पहुंचाने हेतु प्रतिबद्ध हैं और भारत भी यक़ीनन पुरजोर ढंग से लगा हुआ है। काफ़ी हदतक मदद भी मिली है काफ़ी अभी बाकी भी है।

समस्या है गोदी मीडिया और सरकार के अंधसमर्थकों के साथ जो राई का पहाड़ बताते हैं। यही समस्या है अंधविरोधी लोगों के साथ भी क्योंकि दोनों को विदेश नीति का ज्ञान तो दूर की कौड़ी, इन्हें यह भी ज्ञात नहीं कि विदेश मंत्री, विदेश सचिव व विदेश मंत्रालय तथा राजदूतों की भी क्या कोई भूमिका होती है? ये अधिकांश केवल मोदी समर्थक व मोदी विरोधी हैं और इससे आगे शून्य। कुछ अच्छा हुआ तो मोदी ने किया, न हुआ तब या तो मोदी फेल या फिर विपक्षी ताकतों का षड्यंत्र।

असल में यूक्रेन और रूस का झगड़ा कोई सीमा विवाद,जमीन विवाद या धार्मिक विवाद नहीं बल्कि दो देशों के आपसी समझौतों में मतभेद की वजह है जिसमें कूटनीति, मित्रता व व्यापार संधि मुख्य वजह है। सोवियत संघ से अकेला कोई यूक्रेन अलग नहीं हुआ था बल्कि कुल मिलाकर 15 देशों का विघटन हुआ था। आज बेलारूस इसी बात का लाभ लेकर रूस के कंधे पर बैठकर यूक्रेन को लताड़ रहा।

बहरहाल! मुद्दा यह है कि इस लड़ाई में भारत कहाँ है? भारत के लिये वही समस्या है जो अफगानिस्तान, फिलीपींस, येरुशलम, म्यामांर इत्यादि के समय रही है यानी कूटनीति के तहत फैसले लेना। इसमें भारत किसी भी देश के ख़िलाफ़ या समर्थन में खुलकर या छिपकर विद्रोह नहीं कर सकता है क्योंकि आपको ज्ञात होना चाहिए किसी भी देश का विध्वंस होना या नुकसान होने से विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था, मित्रता व भविष्य पर असर पड़ता है।

रूस के नागरिक ही रूस द्वारा की जा रही कार्रवाई के समर्थन में नहीं है। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि रूस के नागरिकों ने केवल 4 दिनों में यूक्रेन की मदद हेतु 1 अरब रुपये जोड़ लिए है। यह कोई देशद्रोही,आतंकवादी या टुकड़े, टुकड़े गैंग नहीं बल्कि मानवतावादी लोग हैं। इंसानियत अथवा मानवाधिकार पर विश्वास करते हैं इसीलिए अपने देश व अपने देश की सरकार के ख़िलाफ़ विद्रोही बने हुए हैं।

आज हमारे एक भारतीय छात्र की मृत्यु हुई है, श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहना चाहता हूं कि हमें इस नुकसान के साथ साथ आयात-निर्यात या विदेश नीति के तहत भी कई असर पड़ा ही होगा इसलिए आप यदि भारतीय नागरिक हैं, भारत का भला चाहते हैं तो अपने देश की मीडिया, अंधसमर्थक व अन्धविरोधियों पर विश्वास करना छोड़ दीजिए बाक़ी सब स्वतः ही ठीक होगा। उम्मीद कीजिए युद्ध जल्द ही टल जाये और सभी देशों में खुशहाली आये। सभी साम्प्रदायिक ताकतों का नाश हो, मानवता का कल्याण हो।

पेन 2 ₹ का हो या 200 रु का लिखता वही है। जो हम लिखाना चाहते हैं।                                         जिंदगी आपकी हो ...
02/03/2022

पेन 2 ₹ का हो या 200 रु का लिखता वही है।
जो हम लिखाना चाहते हैं। जिंदगी आपकी हो या किसी और की बनती उसी की है जो मेहनत करना जानते हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है। दोनों देशों के नागरिकों की जानें तो खतरे में पड़ी ही है, असंख्य भारतीय छात्रों के लि...
01/03/2022

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है। दोनों देशों के नागरिकों की जानें तो खतरे में पड़ी ही है, असंख्य भारतीय छात्रों के लिए भी यह मुसीबत की घड़ी है। भारतीय छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई करने विदेशों में इसलिए जाते हैं क्योंकि वहां मेडिकल की पढ़ाई भारत से तीन गुना कम खर्चे में और बेहतर सुख-सुविधाओं के साथ होती है।

हमने अपने देश के भविष्य के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ शिक्षा के माध्यम से किया है। जहां अमेरिका जैसे देश में वहां के बच्चों का प्रतिवर्ष उच्च शिक्षा में रजिस्ट्रेशन 85 प्रतिशत रहता है वहीं भारत में यह केवल 8 प्रतिशत है जिसे सरकारों द्वारा 12 प्रतिशत बढ़ाने का सदा संकल्प रहा। क्या हम ऐसे में विश्वगुरु बनेंगे?

माना कि नीति और राजनीति आज़ादी के बाद से ही कमजोर रही लेकिन अचंभित करने वाली बात यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर का निम्नतम स्तर व महंगी शिक्षा का उच्चतम स्तर सरकार में ही अधिक रहा। मेडिकल, इंजीनियरिंग की फीस सरकार में दोगुनी, तिगुनी से भी ऊपर बढ़ाई गई है, ऐसे में आम इंसान गुणवत्ता सहित सस्ते के चक्कर में पड़ेगा ही?

देश की जनता को गुमराह करने हेतु सरकार के प्रवक्ता, प्रचारक, समर्थक इत्यादि कुतर्क करते हैं कि देश में महंगाई इसलिए है क्योंकि सरकार में देश सुरक्षित हुआ है। जो कि एक कोरा झूठ है। आपने देखा यूक्रेन जैसा छोटा देश युद्ध के समय अपने नागरिकों को बंकर में छुपाने को कामयाब रहा और अब आप अपने देश का जायजा भी लीजिए।

हमने देखा है कोरोना दौर में तड़पती व तैरती लाशें, ऑक्सीजन की कमी से मरते लोग फिर युद्ध के आलम में हमारी तैयारी कितनी होगी? देश सदा सुरक्षित था यह सत्य है लेकिन जहां-जहां कमजोर था, वहां आज भी कमजोर ही है और सबसे कमजोर शिक्षा के क्षेत्र में है। पढ़ेगा नहीं इंडिया तो, आगे भी नहीं बढ़ेगा इंडिया यह अच्छे से समझ लें।

सच है कि गोबर से भी कमाई हो सकती है और भूत विधा भी किसी न किसी के काम आ सकती है बुराई गाय, गोबर, गोमूत्र, भूत, प्रेत, देवी, देवताओं, जाति, धर्म इत्यादि में नहीं है। बुराई है केवल इन्हीं चीजों तक सिमट कर रहना। कुतर्कों से खुद को संतुष्ट करना। जाति-धर्म की इस लड़ाई में हमारा सफ़र जहां आज़ादी से पहले शुरू हुआ था, ऐसे में वहीं जाकर खत्म होगा।

Aman baba

आज दिनांक 4/2/22 को  #अपने क्षेत्र की  #सफाई  #कार्य कराते हुए  #कार्य  #निरंतर  #जारी,,,,,,,,,,,Aman baba
28/02/2022

आज दिनांक 4/2/22 को #अपने क्षेत्र की #सफाई #कार्य कराते हुए #कार्य #निरंतर #जारी,,,,,,,,,,,

Aman baba

"कमर में पिस्टल, मूछो पर ताव, शेर सी शख्सियत..... वो याद थे,वो याद हैं,वो याद रहेंगें, आजाद थे, आजाद हैं, आजाद रहेंगें.....
27/02/2022

"कमर में पिस्टल, मूछो पर ताव, शेर सी शख्सियत..... वो याद थे,वो याद हैं,वो याद रहेंगें, आजाद थे, आजाद हैं, आजाद रहेंगें........जब तक यह पिस्तौल मेरे पास है किसने माँ का दूध पिया है जो मुझे जीवित पकड़ ले जाए।"
- चन्द्रशेखर आज़ाद
पुण्यतिथि पर शत शत नमन🙏🙏🙏

करोड़ों रुपए की किताबें सरकारी धन से छपने के बाद भी बच्चों को वितरित नहीं की गई! यह शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र है।...
19/02/2022

करोड़ों रुपए की किताबें सरकारी धन से छपने के बाद भी बच्चों को वितरित नहीं की गई! यह शिक्षा से वंचित करने का षड्यंत्र है। -

आज #भीम पाठशाला # के तहत बच्चों की फ्री शिक्षा क्लासेज चलते हुए 2 साल 10वां दिन पूरा हुआ।
जिसमें अब तक 50+ बच्चे रजिस्टर हो चुके हैं।
आप भी अपने बच्चों को जरूर पढ़ाए। घर पर खाली न बैठने दें। उन्हें पढने की प्रेरणा दें। यह समय बहुत कठिन है। सरकार की उदासीनता बच्चों की पढ़ाई के प्रति देखी जा सकती है।

इसलिए किसी पर आश्रित न हों, "एक रोटी कम खाएं लेकिन आपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं - डॉ बाबा साहब अम्बेडकर "

आपके सभी तरह के राय, सलाह, उपाय, सुझाव और मदद आमंत्रित हैं।
मुझे आपके आशिर्वाद और सपोर्ट की जरूरत है।

आपके सहयोग की अभिलाषा में...
अरुण सिंह उर्फ अमन बाबा
906855 1557

मीराबाई लिखती है: “मोहे गुरु मिल्या रैदासा!” मेवाड़ राजघराने की महारानी जो कि मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा के पुत्र महाराण...
17/02/2022

मीराबाई लिखती है: “मोहे गुरु मिल्या रैदासा!” मेवाड़ राजघराने की महारानी जो कि मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा के पुत्र महाराणा कुंवर भोजराज की पत्नी महारानी मीराबाई ने सन्त रविदास जी को अपना गुरु बनाया। उनकी बगावत, संघर्ष और मृत्यु के किस्से आज भी सुने जा सकते हैं लेकिन सबसे बड़ी विचित्र बात थी संत रैदास को गुरु चुनना। मेवाड़ की रानियां ही नहीं रैदास के तेज से तो ब्राह्मण हरिराम व्यास, रज्जब मुसलमान, गुरु रामदास और गुरु अर्जन देव जैसे सिख गुरु तक सबने एक स्वर में रैदास को अपना सगा, अपना गुरु और अपने आराध्य तक की श्रेणी में रखा था लेकिन वर्चस्ववादीयों ने उन्हें बहुत ही सीमित रखा।

रैदास/रविदास/रोहदास/रोहिदास नाम अनेक हैं उनके, वे चर्मकार वर्ग में जन्मे बहुत ही तेजस्वी गुरु हुए हैं! कहते हैं कि उनका तेज़ रवि (सूर्य) सामान ही था और इसलिए उनका नाम ही पड़ गया रविदास! तेज़ और ज्ञान ऐसा कि उनपर जब संस्कृत सीखने पर मनाही लगा दी तो उन्होंने एक नयी भाषा और लिपि ही बना डाली: गुरुमुखी! श्री गुरुग्रंथ साहिब में रविदास की वाणी संकलित है और पंजाबी भाषा गुरुमुखी लिपि की भाषा है किन्तु सिखों में भी जातिवाद के चलते उनके साथ पूरा न्याय न हो पाया और रविदासिया पंथ सरकमफ्रेंस पा चला गया! ज़िक्र मिलता है कि वे प्रकाण्ड ज्ञानी तो थे ही और रूपरंग के भी धनी थे, लम्बाई कोई सात हाथ, गोरा रंग, ओजस्वी और अत्यंत प्रभावी छवि।

मध्यकालीन भारत के संतों में एक खास बात यह देखी जाती है कि उन्होंने स्वयं श्रम करते हुए अपना गुजारा किया। लगभग सभी संतों ने अपना पेशा आजीवन जारी रखा। कबीर कपड़ा बुनते रहे, संत सैन ने नाई का पेशा बरकरार रखा, नामदेव ने कपड़े पर छपाई जारी रखी, दादू दयाल ने रुई धुनने का काम नहीं छोड़ा और गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष खेती करते हुए ही बिताए लेकिन इन सबमें रैदास का पेशा एकदम जुदा था। वे मोची थे। जूते बनाते थे और उसकी मरम्मत भी करते थे। समाज की भाषा में उनकी जाति कथित ‘चमार’ की थी पर कर्मप्रधान वर्णव्यवस्था की बात करने वालों ने उनके कर्म को नीच माना तथा उन्हें हाशिये पर रखा।

तुलसीदास से बहुत पहले जन्में रैदास ने ज्ञानी शुद्र को पूजनीय कहा और दुर्गुण ब्राह्मण को अपूजनीय। "रैदास बांभन मत पूजिए जो होवे गुन हीन। पूजिए चरन चंडाल के जो हो ज्ञान प्रवीन।" वहीं तुलसीदास ने इसी को उलट करके कहा कि शुद्र कभी पूजनीय नहीं हो सकता बशर्ते वह कितना ही ज्ञानी व गुणवान क्यों न हों जबकि ब्राह्मण दुर्गुणी होकर भी पूजनीय है। "पूजिए विप्र शील गुण हीना, शूद्र ना गुण गण ग्यान प्रवीणा।" और हुआ भी वही तुलसीदास पूजनीय बने और रैदास वन्दनीय भी न रह सके।

लोगों को पहले यह अपनी सीमित वैचारिक पहचान समाप्त करनी होगी तथा उन्हें बुद्ध, रैदास, कबीर, पलटू राम, दादू दयाल, नानक, बिरसा, गाडगे, फुले, पेरियार, अंबेडकर, भगतसिंह, उधमसिंह आदि के महत्व को बिना जाति, धर्म के समझना होगा। तुलसीदास और रैदास या समकालीन तुलसीदास व कबीरदास जैसे संतों के मध्य की प्रासंगिकता को समझना होगा। तर्क व कुतर्क के अंतर को समझकर तर्कसंगत विचार को बेझिझक स्वीकार करना होगा तभी समाज में कुछ वैचारिक क्रांति का प्रसार होगा। इन्हीं विचारों के साथ संतों के संत यानि संत शिरोमणि रैदास जयंती की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

baba

भय मुक्त शाशन के लिए वोट किया आप भी भय मुक्त शासन  के लिए वोट करे
13/02/2022

भय मुक्त शाशन के लिए वोट किया आप भी भय मुक्त शासन के लिए वोट करे

किसानों के मान सम्मान,स्वाभिमान के रक्षक, किसानों के हित के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय लोकदल के पूर्व अध्...
13/02/2022

किसानों के मान सम्मान,स्वाभिमान के रक्षक, किसानों के हित के लिए जीवनपर्यंत संघर्ष करने वाले राष्ट्रीय लोकदल के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी अजीत सिंह जी की जयंती पर शत शत नमन।

मेरे प्रिय साथियों आप सब से मेरा यही निवेदन रहेगा आप जहां भी जिस भी पार्टी को जिताना चाहते हैं जीताइएगा लेकिन  #बैन   और...
08/02/2022

मेरे प्रिय साथियों आप सब से मेरा यही निवेदन रहेगा आप जहां भी जिस भी पार्टी को जिताना चाहते हैं जीताइएगा लेकिन #बैन और जिसकी जितनी #संख्याभारी उसकी उतनी #हिस्सेदारी की बात जरूर करिएगा |

क्योंकि ही #सत्ता की चाबी है, #फालोवर और #ट्रेंड नहीं |


baba

बुरे दिनों में रेलवे के विज्ञापन निकलते थे, बैंक क्लर्क, पीओ की वैकेंसी निकलती थी, पुलिस, सेना, अन्य सुरक्षा बलों की भर्...
07/02/2022

बुरे दिनों में रेलवे के विज्ञापन निकलते थे, बैंक क्लर्क, पीओ की वैकेंसी निकलती थी, पुलिस, सेना, अन्य सुरक्षा बलों की भर्तियां होती थी, ग्रुप सी, एसएससी के पद भरे जाते थे लेकिन जब से अच्छे दिन सुनने को मिले, हमने केवल यही सुना कि रेलवे के कर्मचारियों की नौकरी गयी, बैंकों का निजीकरण हुआ, एयर इंडिया, एलआईसी इत्यादि बिक गये या फिर पेपर लीक आदि, इत्यादि।

पीसीएस की परीक्षाएं हर वर्ष हुआ करती थी अब लगभग सभी राज्यों में चार-पांच वर्षों में एकाध बार हो रही है सीचिये हर वर्ष तैयारी करने वाले बच्चे कहाँ जायेंगे? किसी देश की जनसंख्या बढ़ती है तो वहां उतने ही रिसोर्सेज भी बढ़ते हैं। क्या सरकारों को यह रिसोर्सेस मैनेज करने नहीं आ रहे या जानबूझकर ऐसी नीतियों की अनदेखी हो रही है?

बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई और घटती अर्थव्यवस्था से यही लगता है कि नीति निर्माताओं के पास विचार, विकल्प और विमर्श की बेहद कमी है। प्रकृति और संस्कृति के भंडारण वाले देश से अंग्रेजों ने तक रॉ मेटेरियल एकत्रित कर उस दौर में अपनी कई ट्रिलियन इकोनॉमी बढ़ाई, आज युवाओं का एक आज़ाद देश है और स्कोप की कतई कमी नहीं फिर भी फिसड्डी?

इतिहास की डिग्री से अर्थशास्त्र नहीं चलाया जा सकता और धर्मशास्त्र से राजनीति शास्त्र नहीं चल सकता है। सबकी अपनी अपनी जगह है, सबका अपना अपना कार्य और कारण है। खाली प्रचार, प्रसार से वस्तुस्थिति नहीं बदल सकती है। हमें यदि सच में विकसित राष्ट्र चाहिए तो नीति, नेता और नीयत भी प्रगतिशील चाहिये। जो कि फिलवक्त नदारद हैं।

Aman baba

आज दिनांक 7 फ़रवरी को दो शक्ति केन्द्रों की मतदान पर्चियाँ को सभी मतदाओं को वितरण करने के लिए सौपी गई!!पहले मतदान फिर जलप...
07/02/2022

आज दिनांक 7 फ़रवरी को दो शक्ति केन्द्रों की मतदान पर्चियाँ को सभी मतदाओं को वितरण करने के लिए सौपी गई!!पहले मतदान फिर जलपान!!

07/02/2022
नेता हर व्यक्ति बन सकता है यह सबका लोकतांत्रिक अधिकार होता है लेकिन नीति हर व्यक्ति नहीं बना सकता है। एक गांव का ग्राम प...
06/02/2022

नेता हर व्यक्ति बन सकता है यह सबका लोकतांत्रिक अधिकार होता है लेकिन नीति हर व्यक्ति नहीं बना सकता है। एक गांव का ग्राम प्रधान भी उत्कृष्ट कार्य करके राष्ट्रपति पुरुस्कार हासिल कर सकता और एक विधायक व सांसद एक गांव में 5 वर्षों तक दर्शन नहीं दे सकता विकास तो दूर की बात।

विधायक और सांसद इस अहंकार में इसलिए होते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि कुछ वोट पार्टी के नाम पर उन्हें पड़ेंगे तो कुछ दारू, पैसों की वजह से। दशकों से यह भेड़चाल बन गयी है जो रुक नही सकती क्योंकि भेड़ें कभी इंतकाम के बारे में नही सोचती, वो केवल दूसरों द्वारा किये हुए इंतजाम पर विश्वास करती है।

जिस प्रकार मुसीबत पर शुतुरमुर्ग केवल सिर छुपाती है, हम भी मुसीबत के समय केवल आरोप लगा देते हैं, खुद का आकलन नहीं करते कि हमने वोट किस आधार पर,किस वजह से किसको और क्यों दिया? भेड़ों की खासियत होती है, यूँ तो दिनभर भै भै करके चिल्लाती रहती है मगर, पिटाई, मुसीबत और कटते समय भेड़ कभी चूं तक नही करती।

हमें पहले इस भेड़चाल से बाहर निकलना होगा। चुनाव 5 वर्षों में एकबार आते हैं, गलत वोट हमें 10 वर्ष पीछे ले जाता है। हमें बदलाव चाहिए तो पहले वोट देने की प्रक्रिया, वजह इत्यादि को बदलाव होगा। निज़ाम और इंतजाम को बदलना होगा अन्यथा बदलाव के नाम पर चेहरे, मोहरे बदलते रहेंगे। स्थिति और परिस्थिति नहीं।

Aman baba
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राज्य का हर दसवां वोटर बेरोजगार है लेकिन चुनावों में यह मुद्दा नहीं। प्रदेश में पलायन, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क इत...
05/02/2022

राज्य का हर दसवां वोटर बेरोजगार है लेकिन चुनावों में यह मुद्दा नहीं। प्रदेश में पलायन, गरीबी, अशिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क इत्यादि मुद्दा नहीं बल्कि पार्टी और व्यक्ति ही सर्वोच्च है ऐसे में सुधार कैसे हो? विचार कीजिए हम अबतक हर क्षेत्र में पिछड़े क्यों हैं?

Aman baba

नेताओं ने कभी विकास के लिए कोई कसम नहीं खायी, तो भोली, भाली जनता की भावनाओं का मज़ाक क्यों? हर कुप्रथाओं का अंत अब जरूरी ...
04/02/2022

नेताओं ने कभी विकास के लिए कोई कसम नहीं खायी, तो भोली, भाली जनता की भावनाओं का मज़ाक क्यों? हर कुप्रथाओं का अंत अब जरूरी है। वोट और नोट के लिए कसम करवाने वाले प्रत्याशीयों के बर्बादी के दिन शुरू हो चुके हैं क्योंकि क्षेत्र के युवाओं, प्रबुद्ध, शिक्षित और जागरूक लोगों ने जमीनी हकीकत को समझना शुरू कर दिया है।

अब कसम नहीं, कदम उठाने हैं विकास, विश्वास और विज़न के। नोट के बदले वोट, नमक, लोटा, झूठी कसमें, फरेबी वादे अब नहीं चलने वाले। एक गलत व्यक्ति को दिया गया वोट 5 वर्षों को बर्बाद करता है और इस वजह से जाने कितने वर्ष पहले ही बर्बाद हो चुके हैं लेकिन अब और नहीं। हम काम करने आये हैं। हम सोच बदलने आये हैं।

Aman baba

हमारे अधिकतर लोग ईमानदार , बेदाग़ , बेबाक़ , निर्भीक , शिक्षित, संघर्षशील नेतृत्व को चुनावों में नहीं चुनते बल्कि उनको च...
03/02/2022

हमारे अधिकतर लोग ईमानदार , बेदाग़ , बेबाक़ , निर्भीक , शिक्षित, संघर्षशील नेतृत्व को चुनावों में नहीं चुनते बल्कि उनको चुनते हैं जिन्होंने समाज को हर पहलू से ठगने का काम किया है । उनको चुनते हैं जो दौलत लुटाते हैं । जाति - धर्म देखकर चुनते हैं । हर क्षेत्र -हर ज़िले - हर विधानसभा में राजनीतिक दलालों की भी भरमार है । हमारे नेतृत्व को आस्तीन के साँपों ने भी नुक़सान पहुंचाया है। जिस दिन हमारे लोगों का नज़रिया बदल जाएगा , उस दिन से बदहाली के हालात बदलने शुरू हो जाएँगें ।

। सोच बदलो - हालात बदलेंगे। एक बनो - नेक बनो ।

baba

किसान की पगड़ी हमारा स्वाभिमान है।रंग-जात-धर्म से परे  किसानियत हमारी अस्मत है।पगड़ी का रंग-रूप चाहे कोई हो लेकिन अपमान ...
01/02/2022

किसान की पगड़ी हमारा स्वाभिमान है।रंग-जात-धर्म से परे किसानियत हमारी अस्मत है।
पगड़ी का रंग-रूप चाहे कोई हो लेकिन अपमान स्वीकार नहीं होगा।
baba

वो राजनीति किस काम की जो शिक्षा की प्राथमिकता, स्वास्थ्य  की आवश्यकता और सड़कों की वरीयता में न हो?  #अमन बाबा
01/02/2022

वो राजनीति किस काम की जो शिक्षा की प्राथमिकता, स्वास्थ्य की आवश्यकता और सड़कों की वरीयता में न हो?

#अमन बाबा

जब जब जनता का मूड बदलता है तभी सरकारें बदलतीं हैं, सत्ता के लालची नेता तभी दल बदलते हैं, ना  कि दलबदलुओं के कारण सरकारें...
31/01/2022

जब जब जनता का मूड बदलता है तभी सरकारें बदलतीं हैं, सत्ता के लालची नेता तभी दल बदलते हैं, ना कि दलबदलुओं के कारण सरकारें बदलतीं हैं।
अपनी मन पसंद सरकार के लिए 100% वोटिंग कराएं ।


Aman baba

युवा बदलाव चाहता है। 21वीं सदी का भारत युवाओं का है। अब दारू, मुर्गा, बकरा, पैसा, पार्टी, पोजिशन सब बात को जनता ने दरकिन...
30/01/2022

युवा बदलाव चाहता है। 21वीं सदी का भारत युवाओं का है। अब दारू, मुर्गा, बकरा, पैसा, पार्टी, पोजिशन सब बात को जनता ने दरकिनार कर दिया है। अब बात केवल विकास और विज़न की होगी। यह देश अब राजनीति से नहीं, लोकनीति से चलेगा।

baba

गलतियां भी होगी,गलत भी समझा जाएगा।ये जिंदगी है मेरे दोस्तयहाँ तारीफ भी होगी और कोसा भी जाएगा।
24/01/2022

गलतियां भी होगी,गलत भी समझा जाएगा।
ये जिंदगी है मेरे दोस्त
यहाँ तारीफ भी होगी और कोसा भी जाएगा।

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