09/04/2022
हिज़ाब के बाद लाउड स्पीकर विषय आजकल विवादों में है। मैंने हिज़ाब, नक़ाब, बुर्का, ओढ़नी, पर्दा, घूंघट इत्यादि सभी विषयों पर असंख्य बार लिखा है कि धार्मिक स्वतंत्रता का पूरा सम्मान है लेकिन शिक्षा में धर्म का दखल कतई उचित नहीं है वह चाहे हिजाब, नक़ाब इत्यादि हो याफिर गीता, कुरान का पठन, पाठन हो।
धार्मिक स्वतंत्रता,सामाजिक स्वतंत्रता या महिला स्वतंत्रता तब समझ आती है जब कोई महिला हिज़ाब, घूंघट के अलावा बाक़ी वस्त्र जैसे कभी साड़ी, कभी सूट, कभी जिंस सुविधानुसार जो चाहे पहन सकती हो लेकिन आजीवन कोई बुर्का पहने रखे या घूंघट ओढ़े रखे उसे स्वतंत्रता नहीं गुलामी कहते हैं सदियों से इसे खिलाफ लड़ाई जारी रही।
हालांकि यह भी सत्य है कि हम मुस्लिम महिलाओं के हिज़ाब को आसानी से निशाना बना लेते हैं लेकिन सिखों की पगड़ी या अन्यों के प्रतीकों पर कोई अमल नहीं कर पाते क्योंकि हमारा विरोध भी ऑटो सेलेक्टिव या धारा में बहते विचारों से निर्धारित होते हैं लेकिन मेरा विचार यहां सभी से भिन्न है कि स्कूल का अपना एक कोड हो और सभी के लिए एकसमान हो।
यह कोड निर्धारण की आज़ादी स्कूल को नहीं देनी होगी अन्यथा वे कल बिकनी ही अनिवार्य कर सकते हैं इसलिए ड्रेसकोड सरकार तय करे लेकिन उचित, न्यायिक और पूरे देश मे एक समान। उसके अलावा दूसरा कुछ न थोपा जाय। और कुछ लोग पर्दे, हिजाब,बुर्का इत्यादि की बात पर कहते हैं कि हम तो अपनी महिलाओं को पर्दे में रखेंगे आपको नंगा रखने शौक है तो बेशक रखिये।
उनको मेरी यही सलाह है कि ऐसे कुतर्कों से बाहर निकलना ही होगा अन्यथा खुद ही खुद को अपमानित करेंगे। साड़ी, सूट,जीन्स, लहंगा, इत्यादि कोई भी पहनावा नंगापन नहीं होता है। बाकी मैं केवल स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों इत्यादि में धार्मिक पहनावे को कतई उचित नहीं मानता, इसके मैँ सदा पुरजोर खिलाफ रहा हूँ।
बात करते हैं लाउड स्पीकर की तो इन्हें कब का बन्द हो जाना चाहिए था मगर समस्या यह है इस विषय को मुसलमान के खिलाफ बनाकर तैयार किया गया है। लाउड स्पीकर हर मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, गली, मोहल्ले सब जगहों से उतार देने चाहिए। जागरण हो या कीर्तन, नाटक हो मंचन सब चार दिवारी के अंदर सीमित आवाज़ में हो।
मेरी बात न किसी धर्म के ख़िलाफ़ है और न सविधान के। मेरी बात बेहतर भारत और समान भारत के नजरिए हेतु है। अपना निजी पक्ष छोड़कर यह विचार कीजिए कि जब धर्म बने तब क्या लाउडस्पीकर थे? कल लाउडस्पीकर नहीं होंगे तब क्या धार्मिक प्रक्रिया वाधित होगी? यदि नहीं तो ऐसे असंख्य मामलों में सोच को आगे रखकर चलें कभी दिक्कत नहीं होंगीl