17/09/2023
आज इरोड वेंकट रामास्वामी पेरियार का जन्म दिवस है जिन्हें पेरियार (तमिल में अर्थ -सम्मानित व्यक्ति) नाम से भी जाना जाता था, बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे जो दलित-शोषित व गरीबों के उत्थान के लिए कार्यरत रहे। इसने जातिवादी व गैर बराबरी वाले हिन्दुत्व का विरोध किया जो इसके अनुसार समाज के उत्थान का एकमात्र विकल्प था। पेरियार अपनी मान्यता का पालन करते हुए मृत्युपर्यंत जाति और हिंदू-धर्म से उत्पन्न असमानता और अन्याय का विरोध करते रहे। ऐसा करते हुए उन्होंने लंबा, सार्थक, सक्रिय और सोद्देश्यपूर्ण जीवन जीया था।
यूनेस्को ने अपने उद्धरण में उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आन्दोलन का पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’ कहा.
आईए समझे पेरियार का जीवन दर्शन क्या था:-
"ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है. ये स्थिति उन्हीं के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो." -
जो लोग प्रसिद्धि, पैसा, पद पसंद करते हैं, वे तपेदिक की घातक बीमारी की तरह हैं। वे समाज के हितों के विरोधी हैं।
आज हमें देश के लोगों को ईमानदार और निःस्वार्थ बनाने वाली योजनाएं चाहिए। किसी से भी नफरत न करना और सभी से प्यार करना, यही आज की जरूरत है।
जो लोगों को अज्ञान में रखकर राजनीति में प्रमुख स्थिति प्राप्त कर चुके हैं, उनका ज्ञान के साथ कोई संबंध नहीं माना जा सकता।
हम जोर-शोर से स्वराज की बात कर रहे हैं। क्या स्वराज आप तमिलों के लिए है, या उत्तर भारतीयों के लिए है? क्या यह आपके लिए है या पूंजीवादियों के लिए है?क्या स्वराज आपके लिए है या काला बाजारियों के लिए है? क्या यह मजदूरों के लिए है या उनका खून चूसने वालों के लिए है?
स्वराज क्या है? हर एक को स्वराज में खाने, पहनने और रहने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। क्या हमारे समाज में आपको यह सब मिलता है? तब स्वराज कहाँ है?
आइए विश्लेषण करें। कौन उच्च जाति के और कौन निम्न जाति के लोग हैं। जो काम नहीं करता है, और दूसरों के परिश्रम पर रहता है, वह उच्च जाति है। जो कड़ी मेहनत करके दूसरों को लाभ प्रदान करता है, और बोझ ढोने वाले जानवर के समान बिना आराम और खाए-पिए कड़ी मेहनत करता है, उसे निम्न जाति कहा जाता है।
जो ईश्वर और धर्म में विश्वास रखता है, वह आजादी हासिल करने की कभी उम्मीद नहीं कर सकता।
जब एक बार मनुष्य मर जाता है, तो उसका इस दुनिया या कहीं भी किसी के साथ कोई संबंध नहीं रह जाता है।
धन और प्रचार ही धर्म को जिन्दा रखता है। ऐसी कोई दिव्य शक्ति नहीं है, जो धर्म की ज्योति को जलाए रखती है।
धर्म का आधार अन्धविश्वास है। विज्ञान में धर्मों का कोई स्थान नहीं है। इसलिए बुद्धिवाद धर्म से भिन्न है। सभी धर्मवादी कहते हैं कि किसी को भी धर्म पर संदेह या कुछ भी सवाल नहीं करना चाहिए। इसने मूर्खों को धर्म के नाम पर कुछ भी कहने की छूट दी है। धर्म और ईश्वर के नाम पर मूर्खता एक सनातन रीत है।
ब्राह्मणों ने शास्त्रों और पुराणों की सहायता से शूद्रों (वेश्या या रखैल पुत्र) को बनाया है। हमने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। हमने तालाब खोदे हैं, मंदिरों का निर्माण किया है, धन दान किया है। लेकिन कौन आनंद ले रहा है? केवल ब्राह्मण आनंद ले रहे हैं।
ब्राह्मणों ने हमें हमेशा के लिए शूद्र बनाने की साजिश रची, जिसके परिणामस्वरुप हमें आर्य धर्म द्वारा दास के रूप में बनाया गया है। और अपने उच्च स्तर की सुरक्षा के लिए उन्होंने मंदिरों और देवताओं को बनाया है।
धनी लोग, शिक्षित लोग, व्यापारी और पुरोहित वर्ग जातिप्रथा, धर्म, शास्त्र और ईश्वर से लाभ उठा रहे हैं। इनकी वजह से इनको कोई परेशानी नहीं होती है। इन्हीं सब चीजों से इनका उच्च स्तर बना हुआ है। इस तथ्य को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि इस भारत देश को जाति व्यवस्था द्वारा बर्बाद कर दिया गया है।
हम द्रविड़ियन इस देश के मूल निवासी हैं। हम प्राचीन शासक वर्ग से आते हैं। किन्तु आज हम चौथे वर्ण के अधीन बना दिए गए हैं। क्यों? हमारी इस वर्तमान अपमानजनक स्थिति के लिए हमारे पूर्वज, पुरखे और हमारे राजा ज़िम्मेदार हैं, जिन्होंने शर्मनाक व्यवहार किया था।
जब सभी मनुष्य जन्म से बराबर हैं, तो यह कहना कि अकेले ब्राह्मण ही उच्च हैं, और दूसरे सब नीच हैं, जैसे परिया (अछूत) या पंचम, एकदम बकवास है। ऐसा कहना शातिरपन है। यह हमारे साथ किया गया एक बड़ा धोखा है।
एक धर्म को प्यार को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। वह हर एक को दूसरों की सहायता करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उसे हर एक को सत्य का सम्मान करना सिखाना चाहिए। दुनिया के लिए ऐसा ही धर्म आवश्यक है, जिसमें ये सारे गुण हों। एक सच्चे धर्म का इसके सिवा कोई अन्य महत्वपूर्ण काम नहीं है।
अगर धर्म यह कहे कि मनुष्य को मनुष्य का सम्मान करना चाहिए, तो हम कोई आपत्ति नहीं करेंगे। अगर धर्म यह कहे कि समाज में न कोई उच्च है और न नीच, तो हम उस धर्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे।अगर धर्म यह कहे कि किसी को भी उसकी पूजा करने के लिए कुछ भी खर्च करने की ज़रूरत नहीं है, तो हम उस भगवान का विरोध नहीं करेंगे।
ब्राह्मण आपको ईश्वर के नाम पर मूर्ख बना रहे हैं। वह आपको अन्धविश्वासी बनाता है। वह आपको अस्पृश्य के रूप में निंदा करके बहुत ही आरामदायक जीवन जीता है। वह आपकी तरफ से भगवान को प्रार्थना करके खुश करने के लिए आपके साथ सौदा करता है। मैं इस दलाली के व्यवसाय की दृढ़ता से निंदा करता हूँ और आपको चेतावनी देता हूँ कि इस तरह के ब्राह्मणों पर विश्वास न करें।
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